यही सब देखकर जातिवादी बनने पर मजबूर हो जाता है राष्ट्रवादी

supreme-court-parliament-general-category-making-india

देखिये भईया… हम लोग बहुते सीधे सादे और साफ़ दिल के लोग हैं… छोटे शहर के मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोग हैं… हम वो लोग हैं जिसने सपने छोटे होते हैं… और खुशियाँ भी छोटी-छोटी होती हैं… हम लोग तो नयी रंगीन टीवी और पहली बार घर में केबल लगने पर भी उत्सव मनाने लगते हैं…

और ये भी जान लीजिये साहब कि हम वही लोग हैं जिन्हें इस बात की कत्तई परवाह नहीं कि लखनऊ और दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी… कोई नृप होए हमें क्या हानि…

ना तो हमे आरक्षण मिलना है और ना ही हमें कोई राजनीतिक फायदा मिलने वाला है… और ना ही हम आरक्षण मांगने के लिए रेल की पटरियाँ उखाड़ने वाले हैं और ना तो औरतों से बलात्कार करने वाले है…

हम लोग तो साहब, चुप मार कर अपनी प्राइवेट नौकरी करते हैं या फिर अपनी दूकानदारी चलाते हैं और ईमानदारी से सरकार को टैक्स भरते हैं… और फिर हमारी सरकार उसी टैक्स से धर्मविशेष के लोगों को विदेशी तीर्थयात्रा के लिए सब्सिडी देती है… JNU वालों को स्कालरशिप देती है… लेकिन हमने आज तक सरकार से कोई मांग नहीं रखी…

नब्बे के दशक में आप मंडल कमीशन की सिफारिश को लागू कर हमारे मौलिक अधिकार छीन कर उसे खैरात में बाँट देते हैं… तो कभी इंजिनियरिंग और मेडिकल में 27 फीसदी आरक्षण देकर हमारी प्रतिभा का गला घोट देते हैं…

हमने आवाज उठाई तो लाठी-डंडे से पीटा गया हमें… आज़ादी के बाद हमारी ज़मीनदारी प्रथा खत्म कर हमारी ज़मीनों की चक बंदी कर, उसे कम कर, दलितों में बाँट दिया… राजस्थान में हमारे पूर्वजों के बड़े-बड़े राजमहलों को भारत सरकार ने अपने कब्जे में लेकर उसे निजी कंपनियों को दे दिया… हमे क्या मिला?

हर छोटी जातियों की अपने राजनीतिक दल हैं लेकिन हम सवर्ण समुदाय के हित में काम करने वाली एक पार्टी का भी नाम हम नहीं बता सकते… अरे हम तो खुल के अपनी सवर्ण कौम के ऊपर हुए बौद्धिक अत्याचार के बारे में बात भी नहीं कर सकते… कहीं हमें जातिवादी सिद्ध ना कर दिया जाय… कहीं हमें हिन्दू समुदाय में दरार डालने वाला ना करार दिया जाय…

हम तो साहब शुरू से भाजपा को वोट देते आये है और देंगे… सीना ठोक के देंगे… हमें पता है की भाजपा भी हम सवर्ण समुदाय के लोगों के दुखों को नहीं समझती…

उसके एक मंत्री अरुण जेटली ने पिछले साल बजट के दौरान कहा था कि मध्यम वर्ग के लोग अपना ख्याल खुद रख सकते हैं… उनके लिए बजट में किसी ख़ास प्रावधान की जरुरत नहीं है…

उधर सुप्रीम कोर्ट भी कहता है कि सवर्णों को आरक्षण की जरुरत नहीं… सही कहा साहब… हम लोग तो जन्मे ही हैं बेवक़ूफ़ बनने लिए… सरकार किसी की भी हो हमें तो वही नौकरी चाकरी करनी है…

हम ही सेना में जाकर सीमा पर देश के लिए जान देते है… हम तो कहते है साहब कि सीमा पर लड़ने में भी आरक्षण दो… SC / ST सबसे आगे… उसके पीछे ओबीसी… और सबसे अंत में सवर्ण समुदाय के लोग…

बुरा मत मानियेगा भाई लोग… मैं जल्दी जाति बिरादरी पर कुछ नहीं लिखता… कुछ लोग हमे जातिवादी कहने लगेंगे… लेकिन साहब, दुःख होता है समाज में ये विभाजन देखकर… दुःख होता है जब आत्महत्या करने वाले छात्र की जात देखकर नेता लोग छात्र की मौत पर संवेदना व्यक्त करते है…

दुःख होता है जब भड़वागिरी और नेता गिरी में अंतर समाप्त हो जाता है… और यही सब देखकर मेरे जैसा राष्ट्रवादी भी जातिवादी बनने पर मजबूर हो जाता है…

Comments

comments

LEAVE A REPLY