नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कोयला घोटाले में पूर्व सीबीआई चीफ रंजीत सिन्हा के खिलाफ कुछ आरोपियों के साथ सांठ-गांठ करने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है. इसके साथ ही कोर्ट ने सिन्हा के खिलाफ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बना कर जांच के आदेश दिए हैं.
सिन्हा पर आरोप है कि उन्होंने कोयला घोटाले की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की. जस्टिस एमबी लोकुर की अगुआई वाली बेंच ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को अपनी मदद के लिए अफसर चुनने को कहा है. जांच की रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी.
उल्लेखनीय है कि 2012 में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस प्रक्रिया से देश को करीब 1.86 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ था. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा किए गए 200 से ज्यादा कोल ब्लॉक्स का आवंटन रद कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की जांच प्रभावित करने के आरोप में अपने पूर्व निदेशक की जांच करने को कहा है. जस्टिस मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली बेंच ने नए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से सिन्हा की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाने को कहा है.
सोमवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, ”प्रथमदृष्टया उनके (सिन्हा) खिलाफ कोयला घोटाले में कुछ आरोपियों के साथ सांठ-गांठ करने का मामला बनता है.”
पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए पैनल ने भी सिन्हा को दोषी पाया था. पैनल की जांच में पाया कि आरोपी ने सिन्हा से मुलाकात की थी. यह भी पता चला कि सिन्हा ने कोयला घोटाले की जांच से भी छेड़छाड़ की थी. पैनल ने पाया कि आरोपी से सिन्हा की मुलाकात का के फैसलों पर असर पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में सीबीआई के पूर्व विशेष डायरेक्टर एमएल शर्मा के नेतृत्व में एक टीम बनाई थी. इस टीम को सिन्हा के आधिकारिक निवास से मिली विजिटर्स बुक की सत्यता की जांच करनी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीबीआई प्रमुख रहते हुए सिन्हा ने कोयला घोटाले के आरोपियों से मुलाकातें की थी.