ट्रंप-मोदी का उदय, विश्व को आतंकमुक्त करने का निर्णायक अवसर

आपने अमरीका के नये राष्ट्रपति महामहिम डोनाल्ड ट्रम्प का राष्ट्रपति बनने के बाद का पहला भाषण सम्भवतः सुना होगा. न सुना हो तो कृपया अवश्य सुनें. इसे कहते हैं तेजस्वी नेता. आज के भ्रष्ट और घटिया राजनैतिक परिदृश्य में अपने पहले भाषण से ही ट्रम्प आशा और विश्वास की किरण बन कर उभरे हैं.

हमारे टी वी चैनलों पर बैठे हुए प्रोफ़ेसर आनंद कुमार जैसे वाचाल इस भाषण से पहले कह रहे थे ‘चुनाव के लिये वोटों का ध्रुवीकरण आपसे कुछ भी कहलवा लेता है मगर शासन की वास्तविकता कुछ और होती है’.

मनहूस वामपंथ की अल्पसंख्यकवाद की लम्पट-झूठी राजनीति को प्रेरित करती वाचालता मानती नहीं मगर पौरुष तो पौरुष ही होता है. महामहिम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट सन्देश दिया.

सम्पूर्ण विश्व शताब्दियों से आतंकवाद, गुंडागर्दी, अनाचार से पीड़ित है. 1400 वर्षों से सारे योरोप, एशिया, अफ़्रीक़ा में मंदिर, चर्च, सिनेगॉग, बौद्ध विहार, विश्वविद्यालय, पुस्तकालय ध्वस्त किये, तोड़े गए हैं. लाखों लोगों को ग़ुलाम बनाया जाता रहा है. अपमानित कर जज़िया वसूला जाता रहा है.

जिस चिंतन ने यह किया था वो आज भी उसी रास्ते पर चल रहा है. वही क़त्ताल फ़ी सबीलिल्लाह (अल्लाह की राह में क़त्ल करो), जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह (अल्लाह की राह में जिहाद करो), काफ़िर वाजिबुल क़त्ल (अमुस्लिम वधयोग्य है) का हत्यारा चिंतन आज भी विश्व के जीवन को संकट में डाले हुए है. विश्वास न हो तो कृपया क़ुरआन के सन्दर्भ देखिये

ओ मुसलमानों तुम गैर मुसलमानों से लड़ो. तुममें उन्हें सख्ती मिलनी चाहिये (9-123)

और तुम उनको जहां पाओ कत्ल करो (2-191)

काफिरों से तब तक लड़ते रहो जब तक दीन पूरे का पूरा अल्लाह के लिये न हो जाये (8-39)

ऐ नबी! काफिरों के साथ जिहाद करो और उन पर सख्ती करो. उनका ठिकाना जहन्नुम है (9-73 और 66-9)

अल्लाह ने काफिरों के रहने के लिये नर्क की आग तय कर रखी है (9-68)

उनसे लड़ो जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं, न आखिरत पर, जो उसे हराम नहीं जानते जिसे अल्लाह ने अपने नबी के द्वारा हराम ठहराया है. उनसे तब तक जंग करो जब तक कि वे जलील हो कर जजिया न देने लगें (9-29)

तुम मनुष्य जाति में सबसे अच्छे समुदाय हो, और तुम्हें सबको सही राह पर लाने और गलत को रोकने के काम पर नियुक्त किया गया है (3-110)

अमरीका के नये राष्ट्रपति महामहिम डोनाल्ड ट्रम्प के इस भाषण से स्पष्ट है कि अब ग़ज़वा-ए-हिन्द का सपना देखती हुई आँखों को ग़ज़वा-ए-सलफ़ियत, ग़ज़वा-ए-वहाबियत देखने के दिन आ रहे हैं. शताब्दियों से विश्व को ऐसे पौरुषवान नेतृत्व की प्रतीक्षा थी.

डोनाल्ड ट्रम्प राजनेता नहीं है वरन विश्व को त्रास से उबारने वाले चमत्कारी राष्ट्रभक्त हैं. उन्हें इसी कार्य के लिये अमरीकी जनता ने जनादेश दिया था. यहाँ स्मरण करता चलूँ कि नरेन्द्र मोदी जी और उनके प्रत्याशियों का भी भारत की जनता ने इसी आशा में ही विजय तिलक किया था.

बंधुओ, यह हमारा भी क्षण है. सैकड़ों वर्षों से रिसते आ रहे घावों को साफ़ करने, उन पर मरहम लगाने का यही समय है. भगवान महाकाल से प्रार्थना कीजिये कि विश्व को आतंकमुक्त करने के महती उद्देश्य को सफल करें.

इसमें भरतवंशियों का योगदान अनिवार्य है. सबसे बड़ा हिसाब तो हमारा ही शेष है. पूज्य डॉ हेडगेवार ने भारत माता के उत्कर्ष के लिए याचि देही याचि डोला (इसी देह से, इन्हीं आँखों से) शब्दों का प्रयोग इतिहास के इसी मोड़ के लिये किया था.

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