अपनी हॉलीवुड फ़िल्म के प्रीमियर पर जो नेक बाइंड गाउन देवी दीपिका ने धारण किया था उसे देख कर (सोशल ऑब्जरवेशन की दृष्टि से) मुझे फरीदा जलाल की याद आ गई.
पूछिये क्यों???
वो इसलिए कि एक बार ऐसे ही एक अवार्ड नाईट में हमारी प्रिय अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे भी ऐसा ही कुछ पहन आई थीं.
तब फरीदा जलाल ने एक जिम्मेदार अभिभावक की तरह स्टेज पर ही सोनाली के उन परदे रूपी कपड़ों के दोनों छोरो को खींच कर मिला दिया था, बडे प्यार से हँसते हुए.
काश, दीपिका के साथ भी साधिकार ऐसा करने वाला कोई होता तो आज इस तरह से एबीपी न्यूज़ पर उनके चित्रों का माइक्रोस्कोपिक परीक्षण नहीं हो रहा होता कि आखिर उस ड्रेस के खिसकने की सम्भावना कितने इंच तक की है और वायरल फ़ोटो के हिसाब से कितना बैठता है.
जो मुझे करीब से जानते है उन्हें पता है कि मुझे ऐसी बातें करना बिलकुल पसंद नहीं कि कोई क्या पहने, क्या नहीं और इससे क्या फर्क पड़ता है या पड़ेगा।
आप अगर साईकिल चलाते हुए गिर जायेंगे तो ज्यादातर लोग गंभीरता के साथ आपकी मदद को आएंगे… बिना हंसे या मजाक उड़ाए.
लेकिन अगर आप दोनों हाथ छोड़कर, इतराते हुए साईकिल चलाने का प्रयास करते हुए गिरेंगे, तो लोग हंसेंगे ही.
खैर, आपकी साईकिल… आपकी मर्जी कैसे चलाये. समस्या सिर्फ एक है कि आप जब हाथ छोड़कर साईकिल चलाते हुए गिरती हैं तो हरी घास की गद्दी पर या कालीन पर…
लेकिन आपसे प्रेरित होकर जो भारतीय बालाएं गिरती हैं या गिरा दी जाती हैं, वो अक्सर गंदे नालों में या कांच के ढेर पर गिरती है, जहाँ से उनकी पूरी जिंदगी ख़राब हो सकती है.
आप अगर यूथ आइकॉन है तो उसका सदुपयोग करें.
इस देश की लड़कियों को उस गलत दिशा में एक कदम और आगे ले जाने का आपका प्रयास, देश की संस्कृति और सामाजिक ताने बाने को बहुत महंगा पड़ता है.