हिब्रू भाषा दिवस : महज़ 150 साल की कोशिशों से हर यहूदी की भाषा बनी हिब्रू

Eliezer Ben-Yehuda's birthday, Hebrew language day
Eliezer Ben-Yehuda at his desk in Jerusalem

3000 साल से अधिक समय गुजरने के बाद भी हिब्रू भाषा लगातार समृद्ध हो रही है, जबकि इस अवधि में रोजमर्रा की न जाने कितनी भाषाएं लुप्त हो गईं.

आखिर यह भाषा इतने लंबे समय तक कैसे अस्तित्व में रह सकी? यहां हम आपको इस प्राचीन भाषा के बारे में कुछ रोचक तथ्यों से अवगत करा रहे हैं.

आधुनिक हिब्रू भाषा के जनक इलियजर बेन येहुदा के जन्मदिवस पर इजरायल में प्रत्येक साल हिब्रू भाषा दिवस घोषित किया जाता है. इस साल हिब्रू भाषा दिवस 19 जनवरी को मनाया गया.

हिब्रू भाषा के पुनरुद्धार की कहानी असाधारण है जो कि इतिहास में अद्वितीय है. इस भाषा की जड़ 3000 साल से अधिक पुरानी है. यह भाषा एक तरह से निष्क्रिय हो चुकी थी, जिसे पुनर्जीवित किया गया.

आज की तारीख में यह भाषा 21वीं सदी में पहुंच चुकी है. करीब 150 साल पहले तक हिब्रू बातचीत की भाषा के रूप में प्रचलित नहीं थी. यह लिखित रूप से किसी की मातृभाषा भी नहीं थी.

आज 9 मिलियन से अधिक लोग हिब्रू भाषा बोलते हैं, जिनमें से अधिकतर की यह मातृभाषा है.

यहूदियों के पलायन के करीब एक हजार साल बाद 70 ईस्वी में दूसरे मंदिर के विनाश के बाद भी हिब्रू आराधना पद्धति और धार्मिक कामकाज के अलावा प्रवासियों के बीच जीवित रही.

लेखनी में हिब्रू लगातार विकास करती रही. यह बुद्धिजीवियों के बीच कविता और पत्राचार की भाषा बनी रही. इन लोगों ने कानून और दर्शनशास्त्र की किताबें हिब्रू में लिखी.

उसके बाद प्रत्येक पीढ़ी में हिब्रू में साक्षर होने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे कि लोग यहूदी धर्म के मूलभूत ग्रंथों, जीवन चक्र परंपराओं और रीति-रिवाजों से परिचित होते रहें.

इन वर्षों में यह भाषा लोगों के बीच घुलती गई, साथ ही आम जीवन, धार्मिक व राष्ट्रीय जनजीवन का हिस्सा बनती गई.

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