हमारा देश धर्म-निरपेक्ष देश है. कितना है और कब से है, यह शोध का विषय है. मिलजुल कर रहना और एक दूसरे के सुख दुःख में शामिल होना कौन नहीं चाहता? सभी समुदायों में, सभी धर्मावलम्बियों और सम्प्रदायों में सौमनस्य बढ़े और धार्मिक उन्माद घटे, आज की तारीख में समय की मांग यही है.
मगर यह तभी सम्भव है जब सभी धर्मानुयायी ऐसा मन से चाहेंगे. लगभग 27 वर्ष पूर्व कश्मीर में पंडितों के साथ जो अनाचार और तांडव हुआ उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है. घाटी में उनके साथ रोंगटे खड़ी करने वाली जो बर्बरतापूर्ण घटनाएं हुईं, उन्हें कश्मीरी पंडित समाज अब तक भूला नहीं है.
आज पंडित समाज अपने ही देश में बेघर हुआ शरणार्थियों का जीवन व्यतीत कर रहा है. मासूम कश्मीरी पण्डित महिलाओं, युवाओं और बुज़ुर्गों को कैसे बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया, इसके प्रमाण सर्वत्र उपलब्ध हैं.
सरला भट नाम की नर्स से आतकंवादियों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में उसके शरीर को चीर कर कैसे सरे बाज़ार घुमाया गया, यह बात मैंने सुन रखी थी. आज किसी ने वह चित्र मुझे भेजा जिसे देख मेरा कलेजा मुंह को आ गया.
धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकार के अलम्बरदारों के मुंह पर तमाचा जड़ने वाला तथा आँखों में आंसू लाने वाला यह चित्र प्रस्तुत है. सरला भट सच्ची देश भक्तिन थी. सुना है उसने सुरक्षा कर्मियों को आतंकियों के ठिकानों का पता बताया था जिसकी कीमत उसे बेदर्दी के साथ चुकानी पड़ी.
सरकार से मेरा अनुरोध है कि वीरगति को प्राप्त हुयी कश्मीर की बहादुर बेटी सरला भट के उत्सर्ग और उसकी राष्ट्रभक्ति को ध्यान में रखते हुए उसे मरणोपरांत दिए जाने वाले किसी उपयुक्त अलंकरण से नवाज़ा जाना चाहिए. कश्मीर की इस देशभक्त वीरांगना (बेटी)के नाम पर कोई स्मारक भी बने तो लाखों पंडितों की आहत भावनाओं की कदरदानी होगी.
सरला भट तुझे सलाम! कश्मीर की बेटी तुझे सलाम!!