यह एक आम चर्चा है कि नोटबन्दी के बाद भी लोग धड़ल्ले से अपने काले धन को सफेद करके फिर से काला कर रहे हैं. इस भीषण गोरखधन्धे में निजी बैंकों, सहकारी बैंकों और लाखों ट्रस्टों तथा रजिस्टर्ड सोसाइटीज़ की बहुत बड़ी भूमिका सिद्ध होती जा रही है.
बैंकों के कुछ कर्मचारी और अधिकारी गिरफ्तार किये गए हैं. इनकी गिरफ्तारी से यह प्रमाणित हो गया कि बैंकों के चन्द बेईमान लोग एक पवित्र प्रयास को कलंकित करने में लगे हैं.
75 हजार करोड़ रूपयों का जन धन योजना के खातों में जमा कराया जाना यह बताता है कि बडे पैमाने पर काले धन रखने वालों ने गरीब लोगों के अकाउंट में अपना काला धन सफेद करने के लिए जमा कराया है.
कितने आश्चर्य की बात है कि 27 लाख बैंक अकाउंट 8 नवम्बर, नोट बन्दी की घोषणा के बाद खोले गए हैं. इन लगभग सभी अकाउंट में दो-ढाई लाख रूपया जमा कराया गया है. स्पष्ट तौर पर यह काला धन ही है.
धन का अधिक मात्रा में संग्रह होने मात्र से किसी व्यक्ति को सौभाग्यशाली नहीं कहा जा सकता. सद्बुद्धि के अभाव में वह नशे का काम करता है, जो मनुष्य को अहंकारी, उद्धत, विलासी और दुर्व्यसनी बना देता है.
सामान्यतः धन पाकर लोग कृपण, विलासी, अपव्ययी और अहंकारी हो जाते हैं. लक्ष्मी का एक वाहन उलूक माना गया है. उलूक अथार्त् मूर्खता. कुसंस्कारी व्यक्तियों को अनावश्यक सम्पत्ति मूर्ख ही बनाती है. उनसे दुरुपयोग ही बन पड़ता है और उसके फलस्वरूप वह आहत ही होता है.
धन की प्रतीक लक्ष्मी के अनेक रूप होते है, जिस में से उनके आठ स्वरूप अष्टलक्ष्मी के नाम से प्रसिद्ध है. लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं. वे कमल के आसन पर विराजमान है. कमल कोमलता का प्रतीक है.
लक्ष्मी के एक मुख, चार हाथ बताए जाते हैं. वे एक लक्ष्य और चार प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं. दो हाथों में कमल-सौन्दर्य और प्रामाणिकता के प्रतीक है.
दान मुद्रा से उदारता तथा आशीर्वाद मुद्रा से अभय अनुग्रह का बोध होता है. वाहन-उलूक, निर्भीकता एवं रात्रि में अँधेरे में भी देखने की क्षमता का प्रतीक है.
कोमलता, सुंदरता और सुव्यवस्था में ही लक्ष्मी सन्निहित रहती है. लक्ष्मी का जल-अभिषेक करने वाले दो गजराजों को ‘परिश्रम और मनोयोग’ कहते हैं. उनका लक्ष्मी के साथ अविच्छिन्न संबंध है.
यह युग्म जहाँ भी रहेगा, वहाँ वैभव की, श्रेय-सहयोग की कमी रहेगी ही नहीं. प्रतिभा के धनी पर सम्पन्नता और सफलता की वर्षा होती है और उन्हें उत्कर्ष के अवसर पग-पग पर उपलब्ध होते हैं.
लक्ष्मी के आध्यात्मिक रूप कैसे भी हों पर आज के जमाने के आधुनिक तर्क ज्ञाताओं और लक्ष्मी उपासकों का कहना है कि लक्ष्मी को सुरक्षित रखने के लिए स्वयं विष्णु भगवान को पाताल लोक में निवास करना पड़ा, तथा लक्ष्मी से अपनी सेवा कराने और सुख की नींद लेने के लिए भगवान विष्णु को भी अपनी लक्ष्मी की भी, शेषनाग से सीसीटीवी की तर्ज पर चौकीदारी कराना पड़ी.
आज के युग में भी आधुनिक लक्ष्मी के उपासक विष्णु भगवान की तरह पाताल लोक यानि ‘काले धन की दुनिया’ अर्थात ब्लैक मनी के रूप में रखते हैं. नोटबन्दी के बाद अपने काले धन को छुपाकर सफेद करने के नए-नए तरीके इन लक्ष्मी उपासकों ने अपनाए हैं.
जन धन खातों में पुराने नोट जमा कराने, बैंक कर्मियों से सांठ-गांठ के कई मामले पकड़ में आए हैं. पर अभी भी मोदी जी की आंखों से चुराकर बैंक के भ्रष्ट कर्मियों ने कई और नए तरीके निकाल रखे हैं, जिनकी भनक किसी को नहीं है.
उनमें से एक तरीका यह है – हर बैंकों में लगभग 23% बैंक खाते नॉन-ऑपरेटिव (निष्क्रिय) हैं. उनके नाम पर झूठी एण्ट्री शो करके बैंकों ने हजारों करोड़ पुराना रूपया अपने ‘सस्पेन्स अकाउंट’ में पटक रखा है.
मोदी जी, जैसे ही आपकी नोटबन्दी की सुनामी ठन्डी हो जाएगी, बैंक कर्मी सस्पेन्स अकाउंट में जमा हजारों लाखों करोड़ रूपया चुपचाप बदल कर, अपना कमीशन खाकर, रातों रात काली लक्ष्मी के साधकों को लौटा देंगे.
मोदी जी, ज़रा आठ नवम्बर 2016 से 30 दिसम्बर 2016 तक बैंकों के सस्पेन्स अकाउंट और नॉन-ऑपरेटिव अकाउंट में कितना पैसा जमा हुआ है, इसकी भी जानकारी तो लीजिए.
कहीं ऐसा न हो काले धन के शिकारी भी काले हिरण के शिकारी की तरह कानूनी सुराखों में सेंध लगाकर, आपकी आंखों में धूल झौंक कर चुपचाप रफूचक्कर न हो जाएं.