आजकल जब कुछ लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सत्ता से करीबी या सत्ता में घुसने का प्रवेश द्वार मानने लगे हैं…
… या वो लोग जो संघ को कुछ देने के एवज में ‘return’ चाहते हैं या जो लोग संघ अधिकारियों से अपने परिचय का इस्तेमाल अपनी हितसाधना में करने की इच्छा रखतें हैं…
… ऐसे सब लोगों के लिये तृतीय वर्ष प्रशिक्षित मुजफ्फरपुर, बिहार के संघ कार्यकर्ता योगेन्द्र जी का जीवन पाथेय है.
अपने संघ जीवन में उन्होंने अनगिनत स्थानों पर संघ की शाखायें प्रारंभ की. उन्होंने कई लोगों को संघ में जाकर प्रचारक रूप में काम करने के लिये प्रेरित किया.
उनकी शाखा में उनके द्वारा तैयार स्वयंसेवक, संघ में प्रान्त प्रचारक के बड़े दायित्व पर भी पहुँचे…
संघ के कई बड़े अधिकारियों का भी उन्हें सानिध्य प्राप्त था पर योगेन्द्र जी ने कभी भी इन संपर्कों का इस्तेमाल अपने आर्थिक या किसी भी रूप में अपने उन्नयन के लिये नहीं किया. ‘मधुमक्खी पालन’ जैसे कुटीर कार्य से अपना गृहस्थ जीवन चलाते रहे.
राष्ट्र और हिंदुत्व के लिये योगेन्द्र जी का योगदान अतुलनीय है, हमसे, आपसे या यहाँ के बहुतों से कई सौ गुना अधिक…
पर कभी किसी ने उनके मुंह से संघ की निंदा या संघ कार्य की समालोचना तो दूर भाजपा के बारे में भी एक शब्द भी आलोचनात्मक नहीं सुना.
हम जिन अर्थों में साक्षरता और निरक्षरता को परिभाषित करतें हैं, उन अर्थों में योगेन्द्र जी भले अनपढ़ थे पर सब्र के साथ, बिना किसी लालच के अपना कर्म करते चले जाने का उनका आदर्श, उन्हें हम कथित साक्षरों से बहुत आगे ले जाकर खड़ा करता है.
आज संध्या उनके निधन का शोक समाचार मिला. पूज्य हेडगेवार जैसा स्वयंसेवक चाहते थे स्वर्गीय योगेन्द्र जी बिलकुल वैसे थे.
परमात्मा इस सदात्मा को अपना श्रीचरणों में स्थान दें और शोक संतप्त उनके अपने परिवारजनों को तथा उनके सानिध्य में रहे हजारों स्वयंसेवकों को इस कठिन घड़ी से उबरने का बल प्रदान करें.