झारखण्ड में PPP (Public Private Partnership) मोड के तहत तीन इंजीनियरिंग कॉलेज खुलते हैं और एक पॉलिटेक्निक कॉलेज.
इंजीनियरिंग कॉलेज में-
1. College of Engineering – Dumka
2. College Of Engineering – Ramgarh और
3. College of Engineering – Chaibasa.
और पॉलिटेक्निक कॉलेज के तौर पर Government Polytechnic – Silli.
इस मोड के तहत जमीन और कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर झारखण्ड सरकार बना के देती है और कॉलेज को सुचारू रूप से चलाने, मतलब पढ़ाई-लिखाई, प्रबन्धन और मरम्मत के कार्य Techno India Group को सौंपा जाता है.
कॉलेजों के नाम Techno India के नाम से होते हैं. मलसन Techno India – Silli. AICTE से अप्रूवल भी इसी नाम से होता है.
वर्ष 2013 से एकेडेमिक सेशन भी शुरू होता है. 2014 में झारखण्ड में नई सरकार आती है और इन सभी कॉलेजों के नाम बदलकर College of Engineering – Dumka, Ramgarh, Chaibasa और Government Polytechnic – Silli कर देती है ब्रैकेट में (Run / Managed by Techno India) लिख के.
अब मूर्खता की पराकाष्ठा देखिये.
Government Polytechnic, Silli से 2016 में पहला बैच निकलता है. मार्कशीट और सर्टिफिकेट लिये लड़के एक बेहतर और सुनहरे भविष्य का सपना लिए बड़ी-बड़ी कम्पनियों में इंटरव्यू के लिए जाते हैं.
अब वहाँ के HR वाले बोलते कि किस फर्जी और बोगस कॉलेज की डिग्री लिए घूम रहे हो?
लड़का हैरान परेशान… “क्यों सर.. हम तो राजकीय पॉलिटेक्निक से पास आउट है.. फर्जी कैसे?”
“अरे बेटा.. राजकीय पॉलिटेक्निक, सिल्ली नाम से कोई कॉलेज रजिस्टर्ड ही नहीं है AICTE के रिकॉर्ड में.. फर्जी सर्टिफिकेट ले के मत घूमा करो.. ये तुम्हें कहीं भी नौकरी नहीं दिलवाएगा!!”
लड़का उस कॉलेज का टॉपर रहता है… वह गुस्से में कॉलेज आता है और मैनेजमेंट को सुनाता है… “तुमने हमें क्या दिया है… कागज का टुकड़ा… जिसकी कोई वैल्यू नहीं… कहीं नौकरी नहीं कर सकते.”
तो कॉलेज का सारा स्टाफ मिल कर उसे कुत्ते की तरह मारता है और लड़के को घसीट-घसीट के कॉलेज के बाहर कर दिया जाता है.
2013 में जब Techno India के नाम से कॉलेज था, तो कोई एडमिशन लेने से कतराता था.. लेकिन जैसे ही इसमें Government का नाम लगा, धड़ाधड़ सीटें भरना शुरू हो गई.. छात्रों की काउंसलिंग और सीट एलोकेशन भी सरकारी कॉलेज बता के दिया जा रहा है.
तो सरकार ने अपना नाम चिपकाने के पहले इस बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया कि जब ये इंटिट्यूट्स Techno India के नाम से AICTE से अप्रूव्ड है तो नाम क्यों बदला कॉलेज का?
और जब आपने नाम बदल ही दिए तो नए नाम को AICTE से अप्रूव क्यों नहीं करवाया?
2013 के बाद तीन बैच 2014, 15 और 16 के छात्र इन संस्थानों एडमिशन ले चुके है सरकारी कॉलेज का नाम देख कर.. अब ये क्या करें?
शक यह भी उठाता है कि जब सरकार संस्थान का नाम बदल रही थी तब Techno India वालों ने विरोध क्यों नहीं जताया? शायद सरकारी नाम का फायदा ये भी उठाना चाहते थे!
अब सरकार और टेक्नो इंडिया के बीच में बेचारे मासूम छात्रों की क्या गलती? क्यों इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं?
वर्तमान में करीब 1400-1500 छात्रों का भविष्य इन दोनों के मध्य पिसा जा रहा हैं. सिल्ली क्षेत्र से कितने किसान पिताओं ने अपनी जमीन बेच-बेच के अपने लड़के-लड़कियों के बेहतर भविष्य के लिए कॉलेज में एडमिशन करवाया था/है.
जब सुदेश महतो प्रोद्योगकी मंत्री थे, तब उन्हीं के तत्वावधान में PPP मॉड में ये सब कॉलेज बने थे, चन्द्र प्रकाश चौधरी भी थे साथ में…
हैरानी की बात है कि ये दोनों वर्तमान सरकार के साथ भी गठबंधन में हैं और चन्द्र प्रकाश मंत्री भी हैं. और उन्होंने अब तक इस मामले में चुप्पी साढ़े रखी है.
अपनी निजी स्वार्थ के लिए अपने राजनैतिक पद का फायदा उठाते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना बन्द करो.
बीती रात सोशल मीडिया के माध्यम से ही एक छात्र Ayush Nandan ने मुझे कॉन्टेक्ट किया और कुछ फोटोज भी भेजे. अभी Government Polytechnic, Silli के सभी छात्र भूख हड़ताल में बैठे हुए हैं.