राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी होने का प्रमाण पत्र देकर एक लड़के ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया.
जब विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों को पता चला तो उन्होंने पड़ताल की. पता चला कि लड़के के 42.3 प्रतिशत नंबर आये हैं वो भी ग्रेस मार्क्स से.
लड़के ने राष्ट्रीय स्तर का निशानेबाज़ होने का प्रमाण पत्र दिया है. जबकि इस लड़के ने कभी किसी लोकल प्रतियोगिता तक में भाग ही नहीं लिया.
इस लड़के द्वारा फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र के आधार पर प्रवेश लेने के खिलाफ विश्वविद्यालय के छात्र खड़े हो गए.
मामला लगभग एक महीने तक लटका रहा… लड़कों को हर तरह की धमकियां दी गईं… दबाव डाला गया. मीडिया भी दो-चार दिन खबर छाप कर चुप मार कर बैठ गया…
विश्वविद्यालय के ये छात्र लेकिन अड़े रहे… आखिर में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को झुकना पड़ा…
फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र पर प्रवेश लिए लड़के को बाहर करना पड़ा… लेकिन झूठ या धोखा देकर दाखिला लेने का केस या झूठा सर्टिफिकेट लगाने के लिए जालसाजी का कोई केस इस लड़के पर नहीं चला.
फिर कई वर्षों बाद वो लड़का अचानक खुद को एक विदेशी विश्विद्यालय से M. Phil की डिग्री लिए हुए कहता पाया गया…
वो फ़र्ज़ी कागज़ पर एडमिशन लेने लड़का था _____ ______ मितरों…. अपनी जानकारी के अनुसार इस बालक का नाम बताएं…