मकर संक्रांति मनाने के वैज्ञानिक कारण

भारत देश में हर स्थान हर प्रदेश के बहुत से त्यौहार है. परन्तु मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे देश में एक साथ विभिन्न नामों के साथ मनाया जाता है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना प्रदेश में यह उत्सव 4 दिनों तक मनाया जाता है. भोगी, मकर संक्रांत, कनुमा और मुक्कानुमा उन चार दिनों के उत्सवों के नाम हैं. गुजरात में यही उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है. तमिलनाडु मे पोंगल और हिमाचल में साझा के नाम से जाता है. नाम अलग अलग हैं मनाने का ढंग एक ही है. आइये इसके महत्व को समझें.

हमारे देश के अधिकांश त्यौहार चंद्रमा की गति के साथ अर्थात चंद्र वर्ष के साथ मनाए जाते हैं. इसलिए अँग्रेजी वर्ष के अनुसार या सौर वर्ष के अनुसार इनकी तारीख बदलती रहती है. परन्तु मकर संक्रांत का त्यौहार क्योंकि सौर वर्ष के साथ मनाया जाता है इसकी तारीख नहीं बदलती.

इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन से पहले सूर्य क्योंकि धनु राशि में है वह पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर है तो देश में सर्दी का ज़ोर रहता है. इस दिन के बाद से सर्दी का अंत हो जाता है और इसी लिए इसके पहले महीने में सर्दी सबसे ज़्यादा होती है इसलिए इस महीने में कुछ विशेष शुभ काम नहीं किए जाते हैं.

यह देश कृषि प्रधान है इसलिए लगभग सभी उत्सवों में कृषि की प्रधानता रहती है. मकर संक्रांति भी इससे अछूता नहीं है. इसी समय के आसपास गन्ना तैयार होता है और इसी लिए इस उत्सव में गन्ने से बने गुड का प्रयोग सबसे अधिक होता है. तिल की तासीर गरम होने के कारण अधिकांश स्थानों पर तिल और गुड का प्रयोग करके मिष्ठान बनाए जाते हैं.

बिहार में इसका नाम खिचड़ी के नाम से आता है और लगभग पूरे देश में खिचड़ी का प्रसाद बनाया जाता है. इसी के साथ पतंगबाजी की जाती है. अब इसी सब को वैज्ञानिक पक्ष से समझते हैं. इसके पहले के महीने में क्योंकि सर्दी बहुत ज़्यादा है इसलिए किसी भी संस्कार उत्सव नहीं मनाया जाता है. हमारे देश में विवाह इत्यादि एक सामाजिक उत्सव हैं जिसे आप पूरे परिवार के साथ मनाते हैं और उसे पूरी सर्दी में नहीं मना पाएंगे इसलिए नहीं किया जाता है.

इस मकर संक्रांत के बाद क्योंकि मौसम में इतनी सर्दी नहीं रहती है. सामाजिक उत्सव मनाने शुरू हो जाते हैं. सर्दी के कारण लोग अधिकतर घरों मे रहते हैं और सूर्य आपके शरीर को स्वास्थ्य रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है इसलिए आज के दिन नदी में स्नान करके सूर्य की आराधना के बहाने आप सूर्य की किरणों का सेवन करते हैं.

यही कारण पतंगबाजी का भी है. जब आप मौसम बदलने के बाद पतंगबाजी करेंगे तो बहुत अधिक समय तक सौर किरणों का सेवन करेंगे और यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है.

अब आप खिचड़ी के महत्व को भी समझे. सर्दी के कारण हम पिछले महीने बहुत गरिष्ठ भोजन करते हैं क्योंकि शरीर को उसकी आवशयकता भी होती है पर अब मौसम बदलने के बाद ऐसा भोजन आप नहीं करेंगे तो शरीर को आज खिचड़ी देंगे जो कि पचाने में बहुत सरल है. इसके कारण आप का पेट साफ हो जाएगा और आप नए हल्के भोजन के दौर में प्रवेश करेंगे तो स्वास्थ्य लाभ होगा.

दरअसल हमारे सभी त्यौहार वैज्ञानिक तथ्य और कृषि प्रधान देश की उपयोगिता के साथ हैं परन्तु हम शायद उन पर इतना विचार या चर्चा नहीं करते.

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