नोटबंदी और आचार संहिता की मार, पसंदीदा माला बिन जन्मदिन मनाएंगी माया

लखनऊ. 15 जनवरी 1956 को जन्मीं बसपा सुप्रीमो आज 61 साल की हो गई हैं. हर बार बेहद फूहड़ धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाने वाले पार्टी कार्यकर्ता इस बार सादगी अपनाने को मजबूर हुए हैं.

मजबूरी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुराने बड़े नोट बंद किया जाना और इसके बाद आयकर विभाग की कड़ी नज़र. वैसे भी मायावती के भाई और पार्टी के बैंक खातों की आयकर विभाग और ईडी जांच चल रही है. ऐसे में मायावती ने कार्यकर्ताओं को सादगी बरतने का निर्देश दिया है.

दूसरा सबसे बड़ा कारण है प्रदेश में लगी चुनाव आचार संहिता. उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है और इसके साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई है. चुनाव आयोग प्रत्येक राजनीतिक दल के खर्च पर निगरानी रखे हुए है.

कुछ साल पहले अपने जन्मदिन पर करोडों रुपये की माला पहनने से सुर्खियों में आई मायावती की बर्थ डे पार्टी में शिरकत करने को आतुर रहने वाले अफसरों को इस बार निराशा हाथ लगी है.

चुनाव आयोग ने राज्य में चुनाव आचार संहिता के लागू होने के कारण बसपा सुप्रीमो के जन्मदिन पर अपनी नजर गड़ा दी है. इसी वजह से इस बार मायावती को अपना ‘बर्थ डे’ जन कल्याणकारी दिवस के तौर पर नहीं मना रही हैं.

पार्टी की ओर इस बार किसी भी अफसर को बर्थ डे पार्टी में शामिल होने का न्योता नहीं भेजा गया है. इसके चलते लखनऊ सहित प्रदेश के किसी भी जिले में कोई बड़ा आयोजन भी नहीं किया जा रहा है.

गरीब परिवारों को रिक्शा, साइकिल और कंबल, साड़ी तथा कपड़े आदि भी नहीं बांटे जा रहे हैं. इस बार मायावती का जन्मदिन सिर्फ उन्हें बधाई देने तक सीमित रह गया है. चुनाव आयोग द्वारा मायावती के जन्मदिन पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने की तैयारियों के चलते ऐसा किया जा रहा है.

बसपा में मायावती का जन्मदिन बहुत जोरशोर से मनाया जाता रहा है. पार्टी के संस्थापक कांशीराम के समय में इसकी शुरुआत हुई थी. 15 जनवरी के दिन पार्टी लखनऊ और दिल्ली में भव्य आयोजन कर मायावती का जन्मदिन उत्साह के साथ मनाती रही हैं. केक भी काटा जाता है.

पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक अधिकारी मायावती को जन्मदिन की बधाई देने के साथ ही उन्हें मंहगे गिफ्ट देते रहे हैं. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहने के दौरान मायावती इस दिन करोड़ों रुपये की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करती थीं.

बसपा सुप्रीम मायावती के भव्य तरीके से जन्मदिन मनाने को लेकर विपक्षी दलों ने उन पर तमाम तरह के आरोप भी लगाये, जिनकी परवाह कभी भी मायावती ने नहीं की. पार्टी नेता भी अन्य दलों के आरोप की लगातार अनदेखी करते हुए हर वर्ष जोश के साथ अपनी मुखिया का जन्मदिन जन कल्याणकारी दिवस के तौर पर मनाते रहे हैं.

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