ठण्ड में जितनी तरह की भाजियां खा सकते हैं खा लीजिये… ये ऊर्जा का भण्डार है, आपको वर्ष भर ऊर्जा देती रहेगी… मेथी, पालक, बथुआ, नोरपा, बारामासी, अफीम की भाजी के अलावा ठण्ड में सुआ की भाजी तो अवश्य रूप से खाना चाहिए, खासकर महिलाओं को. क्यों, ये आपको आगे आचार्य बालकृष्ण जी द्वारा लिखे गए फायदे से पता चल जाएगा…
इसे बनाना भी बहुत आसान है… या तो आप इसे मेथी आलू की तरह बना सकते हैं, या फिर सबसे साधारण तरीका है… सुआ की भाजी को बाज़ार से लाकर सबसे पहले बिना काटे ही धो लीजिये.
तीन चार लहसुन की कली, दो हरी मिर्च और एक बड़ा चम्मच सरसों का तेल लीजिये.
हरी पत्ती वाली भाजियों को हमेशा लोहे के बर्तन में ही बनाना चाहिए.
बस फिर क्या है हरी मिर्च, लहसुन को बारीक काटकर सरसों के तेल को गर्म करके तड़का लगाइए फिर उसमें सुआ की भाजी को बारीक काटकर सिर्फ पांच मिनट के लिए पकाइए.
लीजिये तैयार है आपकी सुआ भाजी.

सोया , सुआ या शेपू
– इन दिनों हरी पत्तेदार सब्जियों की बहार है. अनेक ताज़ी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक , मेथी , सोया , बथुआ , सरसों मिल रही है.
– आज इनमे से सोया के बारे में जानते है. इसे अंग्रेजी में Dill इस नाम से जाना जाता है.
– इसके पत्ते सौंफ के पौधे की तरह दिखते है. इसके बीज भी सौंफ की तरह ही पर थोड़े बड़े होते है.
– इसके बीजों को बनसौंफ कहा जाता है. मराठी में इन्हें बाळंत सौंफ के नाम से जाना जाता है.

– सद्य प्रसूता महिला को भोजन के बाद अजवाइन और कसे हुए नारियल के साथ बनसौंफ खूब चबा चबा कर खाने को कहा जाता है. इससे वात वृद्धि नहीं होती. दूध अच्छी तरह उतरता है.
– अजवाई-बनसौंफ खाने से डिलीवरी के बाद बहनों का शरीर नहीं फूलता.
– इसकी पत्तेदार हरी सब्जी भी प्रसुती के बाद खिलाई जाती है.
– सर्दियों में मेथी सोया या पालक सोया , मूंग की दाल -सोया ऐसी सब्जियां बाजरे या मक्के की रोटी के साथ बड़े चाव से खाई जाती है.
– कई लोग इसकी चटनी भी बनाते है.
– बनसौंफ स्निग्ध, तीखी, भूख बढाने वाली, उष्ण, मूत्ररोधक, बुद्धिवर्धक, कफ व वायु नाशक है.
– इसके सेवन से दाह, शूल, नेत्ररोग ,प्यास ,अतिसार आदि का नाश होता है.
– इसकी सब्जी को “आहारीय झाड़ू” कहा जाता है. पेट में रुकावट डालने वाली वायु के निष्कासन का काम यह सब्जी उत्तम प्रकार से करती है.
– पेट में गॅस होना, अजीर्ण, क्षुधामांद्य, कृमी ऐसी अनेक पचन तंत्र की गड़बड़ियों पर यह भाजी गुणकारी होती है.
– उग्र गंध होने से यह कई बार नापसंद की जाती है पर यह बहुत गुणकारी और औषधीय है.
– इसमें अनेक औषधी तेल होते है जिसमें से युगेनॉल तेल रक्तशर्करा नियंत्रित करता है. इसलिए यह सब्जी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत अच्छी है.
– इसमें मेथी व पालक की तरह “अ’, “क’ जीवनसत्त्व, फॉलिक ऍसिड व महत्त्वपूर्ण क्षार होते है.
– जिनकी जीवनशैली बैठे बैठे कार्य करने की है उनके लिए यह बहुत अच्छी सब्जी है. कम शारीरिक श्रम के कारण पेट भारी लगना, भूख कम लगना, अफारा, अजीर्ण आदि अनेक समस्याओं का निश्चित निदान यह सब्जी है.
– यह अनिद्रा के लिए उपयोगी है.
– उच्च रक्तचाप, गुर्दा रोग, सिर दर्द, हृदय आदि पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है.
– गंभीर हिचकी, और खांसी के लिए इसका प्रयोग करें. यह बलगम हटाती है.
– अंगराग प्रयोजनों के लिए सोआ लोशन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
– यह आँखों के आसपास की सूजन और जलन को कम करती है.
– इसकी सौंफ को पीसकर कनपटी पर लगाने से लू लगने से होने वाला चक्कर और सिरदर्द शांत होता है.
– इसके पत्तें और जड़ को पीसकर लगाने से गठिया का दर्द और सूजन ठीक होता है.
– इसके पत्तों पर तेल लगाकर गर्म कर बाँधने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है.
– इसके पत्तों का काढा गुड के साथ लेने से रुकी हुई या कम माहवारी खुलकर आती है.
– इसकी सौंफ का ठंडा शरबत पिने से पित्त ज्वर शांत होता है.
- साभार आचार्य बालकृष्ण