और एक दिन आप को छोड़ना पड़ता है अपना कैराना

पैसा वो ताकत है जो अगर :

1. आप साहसी हैं तो आप का साहस बढ़ाता है.

2 आप डरपोक हैं तो आप का डर बढ़ाता है.

आप साहसी हैं तो पैसे की ताकत से आप अपने शत्रुओं पर अपना डर बढ़ा सकते हैं, ताकि वे आपसे लड़ने से डरे. इसमें पैसा खर्च होता है लेकिन वही खर्च आपकी कमाई कई गुना बढ़ा भी देता है.

आप डरपोक हैं तो आपका कमाया हुआ पैसा खोने का आप को डर रहता है. अगर कोई ताकतवर आप को धमकी दे तो आप पहले ये आजमाएँगे कि क्या बिना लड़े उस से निपटा जा सकता है?

अगर यह खर्च आप के बस की बात है तो आप कर देंगे. यह खर्च कोई कमाई नहीं करता, उलटा सामने वाले की हिम्मत बढ़ाता है और उसकी मांगें बढ़ जाती हैं और एक दिन आप को अपना कैराना छोड़ना पड़ता है.

जब भी कैराना टाइप करता हूँ, पहला ऑप्शन कायराना आ जाता है. सत्य से मुंह फेरकर उसे ज़बरदस्ती कैराना करना होता है.

हिंसक आक्रमण के विरोध में प्रतिहिंसा करना हक़ है, खुद, परिजन और अगली पीढ़ियों के प्रति कर्तव्य भी है. अगर ये खुद से नहीं होता तो सहायकों में निवेश (invest) करना चाहिए, आक्रामकों से शांति कितने दिन खरीदी जा सकती है?

इस्लाम औरों के साथ समादरपूर्ण सहजीवन को नहीं मानता, हमेशा हावी होने को ही मानता है और यह केवल मुसलमानों का इतिहास नहीं, इस्लाम का चरित्र है, यही इस्लाम की सीख भी है.

इसी सीख के कारण ही यह मुसलमानों का इतिहास है. खुद कुरान पढ़िये, कोई मुसलमान कितना भी झूठ बोले, इस बात को काट नहीं सकता कि इस्लाम दुनिया पर गालिब (हावी) होने को मानता है और इसे अल्लाह का आदेश मानता है.

हिन्दू और भारत के अन्य भारतीय धर्मों के व्यापारियों से सीधा सवाल कर रहा हूँ, आप ने इतने सालों में देखा ही होगा कि जिन धंधों में, मंडियों में कभी आप की आवाज बुलंद थी, आज या तो क्षीण हुई है या मिट गई है, बस बांग सुनाई देती है.

ऐसी भी गद्दियाँ हैं जहां नाम पुराने हिन्दू मालिक का टंगा हुआ है लेकिन मालिक मुसलमान हैं. यह सत्य है इसे आप भी जानते हैं. बाकी विस्तार से लिखूंगा लेकिन बस एक बात सोचिए, कब तक आप का धन आप को बचाएगा, अगर उसे खाया ही जाएगा इनके द्वारा?

विदेशों में आप सब के लिए जगह नहीं है, और फिर हमारी अपनी भूमि को हम मिल कर नहीं बचाएंगे तो कौन बचाएगा?

अच्छा, यह बताइये, जज़िया कैसे दिया-लिया जाता था, पता है? लेने वाले का हाथ ऊपर होता था और देने वाले को अपमानित करके लेता था.

सेठ को खुद आ कर देना पड़ता था, नौकर भेजने से काम नहीं चलता था. बाकी, काफिर की बहन-बेटी की सुरक्षा रहम करम पर ही थी.

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