नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय सहारा पर सख्ती दिखाते हुए अल्टीमेटम दिया है कि अगर वे जेल नहीं जाना चाहते तो नियत तारीख तक 600 करोड़ रूपए जमा करा दें. इसके साथ ही कोर्ट ने 600 करोड़ रुपए जमा करने के लिए छह फरवरी की तिथि को और बढ़ाने से मना कर दिया.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, रंजन गोगोई और ए. के. सीकरी की नवगठित पीठ ने कहा, ‘न्यायालय आपको पहले ही बहुत ज्यादा मौका दे चुका है. यह बहुत बुरी बात है. यदि आप यह राशि नहीं चुकाते हैं तो आपको वापस जेल में जाना होगा.’
नई पीठ ने सहारा प्रमुख राय के पैरोल की मियाद बार-बार बढ़ाए जाने की समीक्षा की और कहा उन्हें बहुत ज्यादा मौका दिया जा चुका है जो इस न्यायालय द्वारा किसी अन्य वादी को दिए गए अवसरों से ज्यादा है.
कोर्ट ने 28 नवंबर को राय को 600 करोड़ रुपए जमा कराने के लिए छह फरवरी तक का समय दिया था. पीठ ने बाजार नियामक सेबी के वकील अरविंद दत्तार से पूछा कि यदि सहारा प्रमुख ने यह पैसा नहीं दिया तो क्या होगा?
इस पर दत्तार ने कहा कि यदि समूह यह राशि जमा कराने में असफल रहता है तो उसकी ऐसी 87 संपत्तियां हैं जिन्हें कुर्क कर लिया जाएगा और उन पर रिसीवर बैठाकर उन्हें नीलाम कर दिया जाएगा.
पीठ ने कहा, ‘यदि वह (राय) यह राशि जमा कराने में असफल रहते हैं तो वह वापस जेल जाएंगे. उसके बाद संपत्तियों की कुर्की की जाएगी, रिसीवर की नियुक्ति की जाएगी और नीलामी के माध्यम से उनकी बिक्री कर दी जाएगी.’
इस पर सहारा की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि न्यायालय की यही मर्जी है तो उनकी सुनवायी शायद नहीं होगी. सिब्बल ने, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बयान है, लेकिन यदि यही अदालत की मर्जी है तो हमें न सुना जाए.’
पीठ ने सिब्बल से पूछा कि ‘आप ही बताएं अदालत के पास क्या विकल्प हैं हम यहां आपको सुनने के लिए हैं. क्या न्यायालय ने किसी अन्य वादी के मुकाबले आपको अधिक अवसर नहीं दिए हैं? और अब आप कह रहे हैं कि हम आपको सुन नहीं रहे हैं. यह ठीक बात नहीं है.’
इससे पहले न्यायालय ने सहारा प्रमुख के पैरोल की मियाद बढ़ाए जाने पर कहा कि पैरोल एक निश्चित अवधि और विशेष कार्य के लिए दिया जाता है. आपने (राय ने) यह पैरोल अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए लिया था लेकिन अब आपको बाहर रहते हुए नौ महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. विशेष कार्य समाप्त हो गया है लेकिन पैरोल अभी भी जारी है.
सिब्बल ने कहा कि वह सिर्फ धनराशि जमा कराने के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं. नोटबंदी की वजह से विनिर्माण क्षेत्र धीमा पड़ा है और रीयल एस्टेट क्षेत्र में भी 44 प्रतिशत मंदी आई है.
इस पर अदालत ने कहा कि जब पहले आपको 28 नवंबर तक 600 करोड़ रुपए जमा कराने के लिए कहा गया था तब भी आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे. आपने कहा है कि 285 करोड़ रुपए जमा कराने में आपको कोई परेशानी नहीं है. आपके पास अभी भी छह फरवरी तक का समय है, 300 करोड़ रुपए और जुटा लीजिए और जमा कर दीजिए.
सिब्बल ने कहा कि समूह ने सेबी के पास 13,000 करोड़ रुपए जमा किए हैं जिसके लिए सिर्फ 100 निवेशक मिल पाए थे. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को एक समिति गठित कर निवेशकों के संबंध में जमा किए गए दस्तावेजों की जांच करानी चाहिए. इस पर पीठ ने कहा कि वह इस संबंध में पहले ही निर्णय ले चुकी है.