जी हाँ, यह पूरी दुनिया जानती है कि भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु स्वभाविक हृदय घात से नहीं हुई थी. उनकी मौत के असली कारण आज भी रहस्य बने हुए हैं.
समय-समय पर उनकी मौत के कारणों को जानने के कई प्रयास किए गए, पर सभी कोशिशें आधी-आधूरी ही रहीं. चाहे कांग्रेसी सरकार रही हो या जनता पार्टी की, चाहे प्रधानमंत्री कोई भी रहा हो, देवैगौडा, चन्द्रशेखर या चौधरी चरण सिंह, सबकी बोलती शास्त्री जी के नाम पर बन्द हो जाती रही है.
पता नहीं ऐसी क्या मजबूरी है जो शास्त्री जी की हत्या के मामले में अभी तक के सब प्रधानमंत्रियों को मानो ‘सांप सूंघ जाता’ है. किसी की ज़ुबान खुलती ही नहीं है. कोई भी नहीं कहता कि शास्त्री जी की मृत्यु में कोई रहस्य नहीं है, न ही कोई यह कह सका है कि शास्त्री जो की हत्या की गई है.
अब तो भारत सरकार की बागडोर, मोदी जी आपके हाथ में है. आपके पास तो रहस्यों के पिटारे की सभी चाबियां मौजूद हैं, अब तक तो आपको सच्चाई का पता लग ही गया होगा, बताइये ना… शास्त्री जी की हत्या किसने की है और कैसे की है.
अगर आप अभी भी इस मसले में चुप हैं तो आपकी भी चुप्पी का क्या कारण है? जरा सबको पता तो लगना चाहिए. अब तो आपको जवाब देना ही होगा कि –
1. लाल बहादुर शास्त्री की मौत की जांच करने वाली ‘राज नारायण कमेटी की पहली रिपोर्ट’ लोक सभा पुस्तकालय से कैसे और कब गायब कर दी गई?
2. 2009 में लेखक अनुज धर की पुस्तक ‘दक्षिण एशिया पर सीआईए की आंख’ में चर्चित शास्त्री जी की मौत की जांच रिपोर्ट को ‘डी-क्लासिफाइड’ करने के निवेदन को भारत सरकार द्वारा यह कहकर ठुकराया जाना कि इससे राष्ट्र की सार्वभौमिकता और एकता को खतरा हो जाएगा.
क्या इसका मतलब सीधा-सीधा यह नहीं है कि ‘शास्त्री जी की जानबूझ कर हत्या की गई थी, और भारत सरकार यह बात अच्छी तरह जानती है कि हत्यारे कौन है, तथा सरकार सब कुछ जानने के बाद भी किसी भारी भरकम दबाव के कारण हकीकत को छुपा रही है.
3. क्या किसी के पास इसका उत्तर है कि शास्त्री जी के पार्थिव शरीर का ताशकन्द या भारत मे फोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया?
4. क्या कोई बतायेगा कि मृत्यु के तुरन्त बाद शास्त्री जी का शरीर ‘गहरा नीला’ क्यों पड़ गया था?
5. 1977 में जनाक्रोश के बाद गठित शास्त्री जी की मृत्यु के कारणों को पता लगाने वाली समिति के सामने अपना बयान दर्ज कराने जा रहे, शास्त्री जी के साथ ताशकन्द गए चिकित्सक डॉ आर एन चुघ को रास्ते में ही एक ट्रक से जानबूझ कर कुचल कर किसने मार डाला?
7. राम नाथ नामक शास्त्री जी का निजी नौकर और रसोइया उनके साथ ताशकन्द गया था. जांच समिति के सामने बयान देने के पूर्व नौकर ने शास्त्री जी की पत्नी को कहा था, “अम्मा… बहुत दिन का बोझ था, आज सब बता देंगे.”
पर जब राम नाथ, 1, मोती लाल नेहरू मार्ग से निकल कर अपना बयान दर्ज कराने पार्लियामेन्ट की तरफ जा रहा था तो उसे भी एक अज्ञात वाहन ने कुचल दिया. राम नाथ के पैर की हड़्ड़ी कुचल गई, पैर काटना पड़ा. इलाज में ऐसी दवाई दे दी गई कि राम नाथ की याददाश्त ही चली गई.
और शास्त्री जी की मौत के कारणों को जानने के लिए बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट सरकारी गुप्त खजाने के काले बस्ते में बंधकर काल के साये में खो गई.
चूंकि 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी की आखिरी बात फोन पर उनकी पुत्री सुमन से हुई थी, तब वह पूरी तरह स्वस्थ और प्रसन्न थे, तनाव मुक्त थे. उन्होने अपनी पुत्री से कहा था उनका पीने के लिए दूध का गिलास आ गया है और अब वह दूध पीकर सोने जा रहे हैं.
इस वार्तालाप के सिर्फ पन्द्रह मिनिट बाद ही खबर आ गई कि शास्त्री जी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. इसका सीधा अर्थ है कि शास्त्री जी के दूध के गिलास में ‘पोलोनियम-210’ नामक जहर मिलाया गया था, जिसे पीकर शास्त्री जी की तुरन्त मौत हो गई.
पोलोनियम ही एकमात्र ऐसा जहर है जो पोटटेशियम साइनाइड से भी ढाई लाख गुना अधिक खतरनाक होता है. यह चांदी जैसी चमकदार धातु होती है. यह रेडियो धर्मी है पर इसके विकिरण में सिर्फ अल्फा किरणें निकलती हैं, इसे कागज की पुडिया में बाँध कर जेब में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है.
138 दिनों मे यह जहर टूटकर ‘लेड यानि सीसा धातु’ में बदल जाता है. इस जहर की एक माइक्रोग्राम अर्थात एक ग्राम का दस लाखवां भाग भी मनुष्य के शरीर पहुंच जाए तो तत्काल मृत्यु हो जाती है. और किसी भी जॉच व्दारा मौत का असली कारण का पता नहीं चल सकता है.
पोलोनियम सिर्फ परमाणु भट्टियों से मिलता है. इसी ज़हर का उपयोग करके रूस के जासूसों लन्दन में एक हत्या की थी जिसे स्कॉटलैण्ड़ यार्ड़ के जासूसों ने पकडा था.