फतवे जारी करने की पूरी आजादी है हिन्दुस्तान में, लेकिन पाकिस्तान में हिन्दू किस हाल में हैं – ये कभी समझा है आपने?
ये समझने के लिए आपको इस्लामाबाद स्थित ‘जिन्ना इंस्टिट्यूट’ की रपट देखनी होगी जिसमें पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे लूट-अपहरण-बलात्कार व जबरन धर्म-परिवर्तन, पाकिस्तानी टेक्स्ट-किताबों में हिन्दुओं को शैतान और घृणा-पात्र बताना, हिन्दुओं के साथ नहीं बैठने की सलाह, हिन्दुओं के प्रति यौन-हिंसा, हिन्दू-मंदिरों और धर्मशालाओं को तोड़ना, उनकी ज़मीन हड़पना व जबरन वसूली, तथा पाकिस्तानी मीडिया की इस पर चुप्पी आदि का सविस्तार वर्णन है. रपट के अनुसार पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति एक अति चिंतनीय विषय है.
लेकिन देश में लालबुझक्कड़ों का गिरोह पाकिस्तान को हिन्दुओं के लिए भारत से भी बेहतर सुरक्षित जगह बता देता है. वो तो पाकिस्तानी कम्युनिस्ट शायर फैज़ के इस कथित बयान – कि हिन्दुस्तान के साथ जंग तो पाकिस्तानियों ने नहीं जनरल अयूब खान ने की थी – को पाकिस्तानियों के हिन्दू प्रेम के प्रमाण के तौर पर पेश कर देता है.
जबकि वो बयान तो जनरल अयूब पर फैज़ की केवल भड़ास थी क्योंकि सरकार के तख्ता-पलट की कोशिश के लिए शायर फैज़ अहमद को जेल की लम्बी सजा अयूब काल में ही मिली थी.
इतिहास का तोड़-मरोड़, आधी-अधूरी बातें, और गलत उद्धरण – ऐसी बौद्धिक चोरी-चकारी से हिन्दुस्तान को लघुकृत करना और आतंकी पाकिस्तान को महिमामंडित करना इन ‘लाल-बुद्धिजीवियों’ का शगल रहा है. इसमें सुधार की कोई संभावना भी नहीं दिखती; कोयला होय न उजली सौ मन साबुन लायी!
(सन्दर्भ : (1) “State of Religious Freedom in Pakistan” by Jinnah Institute – 2015, (2) “The times and trial of Rawalpindi Conspiracy : The first coup attempt in Pakistan” by Hasan Zahir, (3) “My Jail Mate” by Zafar Ullah Poshni, (4) कई अन्य)