सिवाय एक दंड के इनके पास कोई हथियार नहीं होता

Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)

सोशल मीडिया पर जब किसी राष्ट्रवादी मित्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में ऊलजलूल कहते या संघ को कोसते हुए देखता हूँ तो बहुत पीड़ा होती है.

मुझे नहीं पता कि ये उनका बौद्धिक दिवालियापन है या उनकी कोई कुत्सित इच्छा. संभवतः स्वार्थ सिद्ध ना हो पाना भी इसकी एक वजह हो सकती है.

पिछले कुछ दिनों में… मेरी नजर में ऐसे कई पोस्ट आए जिनसे मैं इत्तेफाक नहीं रखता हूँ. ऐसे लोग खुद को संघ से जुड़ा हुआ बताते तो हैं, पर संघ की नीति और विचारधारा से बिल्कुल विपरीत बातें करते हैं.

एक संघी जब परम पूज्य भगवा ध्वज के सामने प्रतिज्ञा लेता है तो तन-मन-धन के साथ निःस्वार्थ राष्ट्र सेवा एवं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का मूल मंत्र लेता है.

हम हिन्दू राष्ट्र की जब बात करते हैं तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि संघ मुस्लिम विरोधी या ईसाई विरोधी है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ‘संगठन’ है… संगठन का मतलब यह है कि यह सभी धर्मों एवं जातियों के लोगों का स्वागत करता है जिनको भारत राष्ट्र के प्रति प्रेम है और जो संघ की गाइड लाइन पर चलना चाहते हैं.

अब यहाँ ये बताना जरूरी नहीं कि संघ द्वारा निर्मित ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ में पिछले वर्ष तक दस हजार मुस्लिम स्वयंसेवक थे जो आज कई गुणा हो चुके हैं. ऐसे ही ईसाइयों के बीच भी संघ अपनी पैठ बना चुका है… लोग जुड़ने लगे हैं.

कश्मीर घाटी में मुस्लिमों के बीच यदि संघ सक्रिय है तो इसका मतलब ये नहीं कि वहाँ के मुस्लिमों को हिन्दू बनाया जा रहा है… बल्कि उन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में जोड़ा जा रहा है. आतंकवाद से ध्यान हटाकर उनके अपने दीन-ईमान की तरफ लौटने की प्रेरणा देता है.

छोड़िए बातें लंबी हो जाएगी…

आज विश्व का सबसे बड़ा हिन्दूवादी संगठन जिस मुकाम पर खड़ा है वहाँ तक पहुँचने में कितने स्वयंसेवकों ने अपने आप को खपा दिया है, किसी के पास कोई हिसाब नहीं है.

साठ वर्षों की तपस्या का परिणाम था असम में भाजपा की सरकार…. केरल, आँध्र, तमिलनाडु एवं बंगाल में जो आज की स्थिति है, भविष्य में उसका भी अच्छा परिणाम आएगा.

संगठन के दिन-प्रतिदिन विस्तार को देखकर पश्चिमी जगत हैरान है. तेजी से हो रहे इस विस्तार की सबसे बड़ी वजह है इसकी सोच और विचारधारा.

संघ आपके मुताबिक नहीं चलता है… संघ आक्रामक नहीं है… संघी दंगाई नहीं होते… सिवाय एक दंड के इनके पास कोई हथियार नहीं होता है… पर विपत्ति में स्वयंसेवक जरूर खड़े मिलेंगे.

आप भारत के बाईस करोड़ मुस्लिमों और पाँच करोड़ ईसाइयों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.

जब इंद्रेश कुमार कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हिन्दुओं के साथ मुस्लिम भी आएँगे तो आपको क्यों तकलीफ होती है? पाँच सौ वर्षों तक आपने इंतजार ही तो किया था… आप कुछ और इंतजार क्यों नहीं कर सकते हैं?

आप क्या चाहते हैं कि संघ सभी हिन्दुओं को ललकार दे कि अभी चलो मंदिर बनाते हैं? कर दें खून खराबा…? कितने हिन्दू आएँगे… पता है आपको? आप जिस देश में रहते हैं, क्या यहाँ शत्रुओं की कमी है?

साक्षी महाराज के एक अधूरे बयान पर सारी मीडिया को कौन हाइजैक कर रहा है, क्या आपको पता नहीं?

‘असहिष्णुता’ जैसे ‘नायाब’ शब्द पर अवार्ड वापसी कार्यक्रम चलाया गया था… एक गो हत्यारे अखलाक के पक्ष में… कितनी पुरानी बात है ये?

एक और बकवास की जा रही है कि बंगाल जल रहा है और संघ चुप है. आप ही बताएँ, क्या संघ वहाँ जाकर दंगे करवाए?

जी नहीं, संघ की अपनी गाइड लाइन है. वो उसी पर काम करता है… आप उसे डायरेक्ट नहीं कर सकते हैं.

संघ आपके लिए बहुत कुछ कर रहा है. आप सोचे कि आप संघ के लिए क्या कर रहे हैं? आप अपने गिरेबान में झाँके….

क्या आपके बच्चे शाखा में जाते हैं? आप किस प्रकार संघ को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं? क्या आपने कभी वार्षिक गुरू दक्षिणा कार्यक्रम में हिस्सा लिया है जिससे कि संघ कार्य सुचारू रूप से चल पाए?

आपको पता होना चाहिए कि संघ ना तो किसी से चंदा लेता है, ना ही कभी कोई रसीद कटती है.

संघ के स्वयंसेवकों की सहयोग राशि से ही संगठन का संचालन होता है. मिनिमम रिसोर्सेज़ एंड मैक्सीमम आउटपुट ही संघ की सोच रही है.

विडंबना देखें कि 1990 में जब डॉ हेडगेवार जी का जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा था तब ऐसे बहुत लोग थे जिन्हें ये नहीं पता था कि संघ और इसके संस्थापक हैं कौन? जबकि स्थापना के पैंसठ वर्ष गुजर चुके थे.

कितनी हैरान करने वाली बात थी ये, कि हिन्दुओं को ही नहीं पता कि उनके लिए भी कोई काम कर रहा है?

और ऐसा नहीं कि इसके लिए वे हिन्दू जिम्मेदार थे… बल्कि कुछ देशी और विदेशी ताकतों द्वारा उनकी आँखों पर चश्मा चढ़ा दिया गया था.

अब इन ताकतों को उखाड़ने का काम चल रहा है… तनिक धीरज रखें, संघ को कोसना बंद करें.

एक महाशय ने लिखा कि संघ ‘चंदाखोर’ है, संघी बकलोली करते हैं. यही नहीं माननीय सरसंघ चालक जी के लिए भी आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया था… मैं कड़े शब्दों में उनकी निंदा करता हूँ.

एक बड़े फेसबुकिया लेखक ने लिखा था कि.. ‘RSS उसे यूपी चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश भेज रही है.’

इनके पोस्ट पर बारह सौ लाईक देखकर मैं हैरान हो गया कि ये लोगों को क्या बताना चाहते हैं? और लोग क्यों ऐसी बातों से भ्रमित हैं?

अरे भाई, संघ से किसी को नहीं भेजा जाता है पार्टी चुनाव में बल्कि भारतीय जनता पार्टी का सिर्फ संगठन मंत्री ही संघ का कार्यकर्ता होता है.

आप पार्टी और संघ में घालमेल क्यों करना चाहते हैं? संघ मातृ संस्था ज़रूर है, पर भाजपा की एक राजनीतिक दल के रूप में अलग पहचान है.

आप तो बस इतना समझ लें कि संघ आप का है… संघ को बदनाम ना करें. आप, संघ एवं इसकी विचारधारा का सम्मान करते हैं, यही उसकी मजबूती की वजह है.

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