मैंने हाल ही में फिल्म “दंगल” देखी… फिल्म वास्तव में बहुत अच्छी है इसमें कोई दो राय नहीं..
मैं नहीं जानती किसी को ऐसा अनुभव हुआ या नहीं लेकिन फिल्म देखते हुए मुझे ऐसा लग रहा था जैसे हिरोइन के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा को देख रही हूँ… हूबहू वही … वही मुस्कान…. गालों में वैसे ही डिम्पल पड़ना… वैसे ही कमर पर हाथ रखने की आदत…
क्या आप इसे सिर्फ इत्तफाक़ कहेंगे? या भारतीय जनता के अवचेतन मन में प्रियंका की छवि को एक विजेता स्त्री के रूप में स्थापित करने की कोई योजना?
क्या निर्देशक और निर्माता ने जानबूझकर इस लड़की (फ़ातिमा शेख) को हिरोइन बनाकर प्रस्तुत किया?
यदि ऐसा सिर्फ इत्तफाक़ है तो आप तो इसे भी इत्तफाक़ ही कहेंगे कि प्रियंका गांधी ने पंजाब और उत्तर प्रदेश की धरती से ही राजनीति में पदार्पण किया है.
– माँ जीवन शैफाली (प्रिया सिंह पॉल की अंग्रेज़ी पोस्ट का हिन्दी अनुवाद )