तुम मुझसे ज्यादा सुरक्षित हो मेरी जान!

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पुरु की हथिनी और सोमनाथ की गाय : थोड़े गंदे शब्दों में एक कहानी, लेकिन सबको पढ़नी चाहिए

तुम मुझसे ज्यादा सुरक्षित हो मेरी जान…..
….तुम कहती हो कि इस देश के सारे पुरुष बलात्कारी हैं. इसीलिए तुम कहती हो कि मेरे इस देश में नारियाँ असुरक्षित हैं. तो आज तुम्हें एक सच से रूबरू करवाता हूँ कि, तुम “मुझसे ज्यादा सुरक्षित कैसे हो इस देश में !”

पहली कहानी-

एक रात मैं अपने कॉलेज की ओर जा रहा था बस में, और कैन वाली कोल्ड ड्रिंक पी रखा था मैं. मेरे बगल में बैठी आंटी (एक नारी) ने मुझसे खेलना शुरू कर दिया. उस कोल्डड्रिंक के असर से शुरू में तो मुझे भी मजा आया, लेकिन अचानक मुझे लगा कि,.. अगर ये किसी भी वजह से, मुझे आपत्तिजनक अवस्था में पहुंचा कर,.. शोर मचा दे, कि ये सब “मैं” कर रहा हूँ, तो मेरा क्या होगा?

बस में उपस्थित लोग मुझे कूटेंगे हेराइल गदहा की तरह, और पुलिस भी कूटेगी, और मेरे घरवालों से मुझे छोड़ने के ढेर सारे पैसे भी लेंगे. और मैं ग्लानि में आत्महत्या जैसा विचार भी कर सकता हूँ, क्योंकि मैं अपने परिवार में किसी से नजर मिलाने के काबिल नहीं रहूँगा… क्यों?? क्योंकि वो एक नारी थी, और मैं एक पुरुष. इत्तफाक से वो बस खाली थी, किसी बहाने मैं उठ के ड्राईवर के एक दम पास, रौशनी से भरपूर सीट पर जा के बैठ गया.

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अलमारी के रैक पे बिछाए हुए पुराने न्यूज़ पेपर भी पढ़ डालता हूँ मैं. बहुत छोटा था मैं, दीपावली की साफ़ सफाई में, एक ऐसा न्यूज़ पेपर पढ़ा, जिसमें कानपुर की एक घटना का जिक्र था. तीन लड़कियां किसी मेट्रो शहर से आईं वहां एक होटल में, और एक वीडियो कैसेट की दुकान पर फ़ोन करके, अश्लील वीडियो मंगवाईं. एक 20-22 साल का लड़का, कैसेट ले कर होटल के कमरे में पहुंचा.
उसको कैसेट लगाने को बोलीं, और फिर उस लड़के (पुरुष) को “उकसा” कर उसके साथ खेलने लगीं. उसको ड्रिंक पिला दिया और खुद जाने क्या पी. रात भर ये खेल चला, वो लड़का कब तक ये सब कर पाता? नशे में टल्ली हो चुका था, तो उसको उकसाने के चक्कर में लड़कियों ने उसको जगह जगह दांत से काट मारा. रात में ड्रिंक की बेहोशी में उस लड़के के शरीर से इतना खून निकला कि वो मर गया, और लड़कियां होटल छोड़ के भाग गईं.,…. वो होटल में मरने वाला लड़का भी मैं ही था मेरी जान,.. एक पुरुष.

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अभी हाल की दिल्ली की घटना है. एक लड़की ऑटो करके रात में घर पहुंची, ऑटो वाले को पैसे देने के बहाने ऊपर अपने फ्लैट में बुलाया, और अपनी एक सहेली को भी बुला लिया. दोनों उसके साथ खेलने लगीं. बेचारा डर गया,. क्योंकि बाद में उसकी बात कोई मानता ही नहीं इस देश में, वो ही फंसता. बेचारा फ्लैट के ऊपर से ही नीचे कूद गया, और दोनों पैरों की हड्डियाँ टूट गईं. वो ड्राईवर भी मैं ही था मेरी जान,.. एक पुरुष.

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एक लड़का ट्रेन में अपने कॉलेज की ओर जा रहा था. अपनी सीट से उठ कर, ट्रेन में अपनी फेवरेट जगह,. दरवाजे पे खड़ा होकर प्रकृति का आनंद ले रहा था. एक “पुलिस” वाले अंकल आये,. और उसके आगे टाईटैनिक वाले पोज में खड़े हो गए दरवाजे पर. पहले तो लगा कि,. शायद उसका भ्रम है, लेकिन थोड़ी देर बाद, जब भरपूर जगह होते हुए भी, वो अपना बैक साइड,… उसके फ्रंट साइड पर घिसने लगे,.. तब वो “बहुत डर” गया,.. क्योंकि वो साहेब एक पुलिस वाले थे, कुछ भी कर सकते थे. वो सीधा भाग के अपनी सीट पर जाकर, लोगों के बीच में बैठ गया. ऐसी हजारों कहानियां होती हैं, लेकिन हमारे समाज की मानसिकता ये है, हम पुरुष, रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करा सकते.
यहाँ भले ही सामने वाला इंसान पुरुष था,.. लेकिन विक्टिम याने कि पीड़ित,… मैं (एक पुरुष) ही था मेरी जान.

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कुछ दिन पहले न्यूज़ ही में आया है कि दिल्ली मेट्रो में चोरी करने वालों में से 90% महिलाएं होती हैं. इतना बड़ा प्रतिशत देख के कुछ समझ आया? जबकि महिलाओं की बोगी रिज़र्व है, उनकी सीट रिज़र्व है. मैं महिलाओं को अपनी सीट भी उठकर दे देता हूँ, और ऐसा मेरे जैसे हजारों लड़के करते हैं, रोज. वो लड़के भी इसी भारत के पुरुष हैं. फिर भी हम सारे एक तराजू में तौल दिए जाते हैं.
Bloody Indians Rapist,… One Potential Rapist,… और ऐसा केवल तुम नहीं लिख रही हो, ऐसा हमारे “कथित बुद्धिजीवी पुरुष” भी लिख रहे हैं.

मेरे हजारों दोस्त हैं, उनमें से एक भी बुरे चरित्र का नहीं है. मेरे बहुत से रिश्तेदार हैं, जो जिन्दा हैं, और कुछ उम्र पूरी करके मर गए,.. किसी का नाम बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में नहीं आया. और,.. तुम्हारे भी आसपास होंगे, सब संभावित रेपिस्ट हैं??

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दिल्ली में अचानक मेरी गाड़ी के आगे, ऑटो में बैठी दो विदेशी युवतियां चिल्लाने लगीं “हेल्प-हेल्प”,.!! थोड़ी देर में वो युवतियां मेरी गाड़ी में थीं. उन्होंने बताया कि ऑटो वाला उनको गलत ले जा रहा था, हमारा होटल दूसरे रास्ते पर था. मैंने उनको होटल के सामने ड्राप किया, तो वो डायरी निकाल के मेरा नाम पूछने लगीं. मैंने पूछा क्यों? तो वो बोलीं कि,.. “आप अकेले इंडिया में अच्छे इंसान मिले हैं,.. “पूरे एक महीने में”,… बाकि तो जितने मिले, सब “लम्पट” (lusty) ही लगे. मैं एक बुक लिखूंगी, और उसमें आपका नाम डालूंगी.”

मैंने कहा,.. “मैडम, करोड़ों के देश में एक अकेला मैं नहीं हूँ जो आपके लिए जान पर खेल गया. ऐसे करोड़ों मिलेंगे, लेकिन आपको पहचानना नहीं आता है. आपको सतर्कता नहीं आती है. गलती आपकी है. तो आप पूरे देश को गाली देंगीं? हमारे देश में छोटे कपड़े अभी लोग नहीं पहनते हैं. तो “कुछ लोग” लम्पटगिरी कर गए होंगे, आपके कपड़े देख कर.

लेकिन क्या जिन “लाखों” लोगों को आपने एक महीने में देखा, वो सारे लम्पट थे? सारे चिपके आपसे? उसमें से सिर्फ “कुछ” ही रहे होंगे, शायद 1 प्रतिशत भी नहीं. तुम्हारे साथ, एक ऑटो वाला गलत कर गया, क्योंकि तुम सतर्क नहीं थी मेरी जान. ये सारी दुनिया ही एक जंगल है, इस जंगल में अगर भेड़िये हैं,… तो “हाथी मेरे साथी” भी होते हैं. पहचानना “तुम्हें” है, चुनाव तुम्हारा है, या कि एक-दो भेड़ियों की गलती की वजह से, सारे जंगल को गाली दोगी? आप अपनी डायरी में सिर्फ ये लिखना कि,.. “एक इंडियन लड़के ने ही मेरी रक्षा की.”

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मेरे कुछ दोस्त, जिनको मैं personally जानता हूँ, उनकी बीवियों ने उनपर “दहेज़” का फर्जी केस डाल दिया है, जबकि उन्होंने अपनी ओर से कोई दहेज़ माँगा ही नहीं था शादी के वक़्त. और अब वे अपने पिछले प्रेमियों के साथ ही रहना चाहती हैं, क्योंकि घर वालों ने दबाव में शादी कर दी. मेरे एक दोस्त का ढाई साल का बच्चा भी है, तड़पता है बेचारा उसकी शक्ल देखने को. उसको और ज्यादा तड़प हो, इसीलिए उसकी बीवी उस बच्चे को कोर्ट की तारीख पर भी नहीं लाती.

वो कहती है कि एकमुश्त 25 लाख दे दो, और केस ख़त्म. कहाँ से लाये वो इतना पैसा? वो अपनी जमीने, घर बेच भी दे तो इतना पैसा नहीं दे सकता. ऐसे लाखों लड़के हैं और उनके परिवार हैं इसी देश में, और वो लड़का भी मैं ही हूँ,. इस देश का एक पुरुष, और वो लड़की भी इसी देश की एक नारी है मेरी जान. मुझे बताओ कि,.. कौन ज्यादा “असुरक्षित” है आज??

ऐसी कहानियों की लिस्ट बहुत ज्यादा लम्बी है, जिसमें पता चलेगा कि,.. इस देश में “तुम” ज्यादा सुरक्षित हो, मेरी तुलना में. फिर भी तुम्हारी सुरक्षा करने की भरपूर कोशिश करता हूँ मैं. जितना संभव हो सकता है.
बहुत बार मैं सफल भी रहता हूँ, तो,..

हाँ, कई जगह मैं तुम्हारी रक्षा नहीं कर पाता. क्योंकि सैकड़ों साल से, इस देश में मुझे कायर बना के रख दिया गया है. आज भी कानून ने मुझे जकड रखा है. आज मैं तुम्हारी रक्षा करने जाऊं, तो अगले कई दिन तक मैं ऑफिस नहीं जा सकता. मेरी नौकरी छूट जाएगी. क्योंकि मैं एक सवर्ण भी हूँ,.. तो मुझे सरकारी नौकरी नहीं मिलती इस देश में. जबकि “कथित अल्पसंख्यकों” के साथ तुम्हें भी, वहां आरक्षण मिल रहा है.

इसलिए,… तुमसे ज्यादा योग्य होने के बावजूद,.. मुझे प्राइवेट नौकरी करनी पड़ती है, और प्राइवेट नौकरी में दो दिन ऑफिस ना जाओ, तो तीसरे दिन टर्मिनेशन लैटर हाथ में होता है. …. फिर भी,.. अगर, मैं रक्षा करने जाता हूँ, तो मुझे गोली मार दी जाती है कई शहरों में. फिर मेरे बाद, मेरे बूढ़े माँ बाप, भीख मांगते नजर आते हैं. मेरी जवान कुंवारी बहनों का तो भगवान ही मालिक होता है.

हाँ, कुछ जगहों पर इसलिए भी नहीं कर पाता, क्योंकि पहुँच भी नहीं पाता हूँ हर वक़्त. क्योंकि तुम मुझे, पता भी तो नहीं लगने देती कि,.. कब, कहाँ किसके साथ, कैसी अवस्था में हो तुम. गलती तुम्हारी, पर फिर भी तुम मुझे “एक संभावित बलात्कारी” कहोगी ? मैं तुम्हारा भाई भी हूँ, तुम्हारा पिता भी हूँ, टीचर भी हूँ, तुम्हारा बॉस भी हूँ, और पड़ोसी भी. लेकिन जब तुम मुझे बलात्कारियों के साथ एक ही पलड़े में रख देती हो, तब मैं तड़प उठता हूँ.

सदियों से तुम्हारी रक्षा मैं ही तो कर रहा हूँ. नंगे पैर मैं महाशक्तिशाली दैत्यों से भिड़ जाता हूँ, कोल-भीलों की मदद लेकर. ….बिना साधन के, सिर्फ अपने भाइयों को साथ लेकर, अजेय गंगा पुत्र भीष्म और कृष्ण की अछौहिणी सेना से भिड़ जाता हूँ. क्या जरुरत थी सीते? क्या जरूरत थी द्रौपदी? मैं क्यों ना दूसरी आठ दस सीता और द्रौपदी ले आता?,…. नहीं, क्योंकि मुझे तुम्हारे अपमान का बदला लेना था. मुझे तुम्हारी रक्षा करना था, मुझे ही उन दुराचारियों को सबक सिखाना था.

आदि काल से ही तुम्हारी रक्षा करते करते, लड़ते लड़ते, कई समुद्रों तक व्यापक फैला मेरा आर्यावर्त,… आज सिकुड़ कर INDIA बन गया है. जिसमें से अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश अभी हाल ही में, काट के अलग कर दिए गए. आँखे खोलो और कश्मीर, केरल तथा पश्चिम बंगाल पर नजर डाल लो. वहां क्या हो रहा है? वहां की रेप की घटनाये यहाँ से ज्यादा भयावह हैं. इन जगहों पर ज्यादातर, इन्हीं वामपंथियों का शासन रहा है जो “नारीवादी” का झंडा उठाते हैं. अगर ये हृदय से तुम्हारे लिए भला सोचते, तो आज तुम इन जगहों पर क्यों प्रताड़ित हो? ये तुम्हारे छोटे कपड़े की प्रशंसा करते हैं, तुम क्यों नहीं वही छोटे कपड़े पहन कर इन इलाकों में घूम आती मेरी जान??

मेरे इस देश में कभी पुरुष और स्त्रियाँ अधनंगे ही घूमते थे, सुरक्षित. फिर कालांतर में इतने पर्दों की जरुरत क्यों पड़ी, इसके लिए तुम्हें इतिहास पढ़ने की जरुरत है. हम अभी भी प्रयास कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक हो जाए, लेकिन कुछ लोग हमें “सफल” नहीं होने दे रहे हैं, और इसमें तुम भी कम जिम्मेदार नहीं हो. मैं जीवन भर तुम्हें आपना खून निचोड़ के तुम्हें पिलाता हूँ, तब तुम इतनी बड़ी होती हो. फिर “आजादी” मांगते हुए “लव जिहाद” में कूद पड़ती हो.
मेरे मना करने पर, मेरे समझाने पर, तुम मुझ पर “उत्पीड़न” का केस कर देती हो. …. और फिर तुम दुश्मनों की गोद में जा बैठती हो. बाद में “तुम्हारे” 10-12 बच्चे मिलकर, “मेरे” 2-3 बच्चों को मार डालते हैं, उनका बलात्कार करते हैं. फिर हमारे घर जमीनों पर कब्ज़ा कर लेते हैं. हाँ, तुम वो “गायों” का झुण्ड बन चुकी हो, जिनकी आड़ में “#सोमनाथ_मंदिर” अभी भी लूटा जा रहा है मेरी जान.

तुम ये फर्जी नारीवादी वामियों के बहकावे में आई हुई, इस देश की वो हथिनी हो चुकी हो, जो “नामालूम आजादी” के मद में चूर हो चुकी है, और अपने ही “#राजा_पुरु” के सैनिकों को कुचल रही है. फिर भी मैं तुम्हें बचा रहा हूँ, तुम्हारी रक्षा कर रहा हूँ, तुम्हारी आँखे खोलने का प्रयास कर रहा हूँ. तुम्हें ही बचाते बचाते आज बहुत घायल हो चुका हूँ, मेरे जख्मों से लहू रिस रहा है, टीस रहा है. फिर भी प्रयास किये जा रहा हूँ, कि शायद एक दिन तुम होश में आ जाओ.

शायद एक दिन तुम्हें समझ आ जाये कि,.. अपने कौन हैं? अपना “देश” क्या है?? और इस छद्म “आजादी” का नारा देने वालों की कुत्सित इच्छा क्या है? इसी आशा में, मैं शत्रुओं के प्रहारों को आज भी अपने शरीर पर बखूबी झेल ले रहा हूँ, अपने होठों को कस के भींचे हुए हूँ, ताकि मेरी कराह तुम ना सुन लो, ताकि तुम्हें मेरे कमजोर होते चले जाने का आभास ना हो जाए, और तुम भयभीत ना हो जाओ. लेकिन अब “तुम्हारे शब्दबाण” नहीं झेले जा रहे हैं मुझसे,!! मेरी हिम्मत कमजोर हो रही है, क्योंकि अब मैं “अन्दर से” टूट रहा हूँ, …. .

क्योंकि तुम मुझे भी “संभावित बलात्कारी” ठहरा दे रही हो,.. “A Potential Rapist”

हाँ, तुम मेरे इस देश में, आज भी “मुझसे ज्यादा” सुरक्षित हो मेरी जान, लेकिन कब तक? ये शायद कश्मीर, बंगाल वाले सही से तुम्हें समझा सकें.

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