मौसमी जैसी हो हर लड़की

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मौसमी चटर्जी सिर्फ 15 साल की उम्र में हिरोईन बन गयी थी. उनकी पहली पहली फिल्म बांग्ला में ‘बालिका वधू’ (1967) थी जो निर्देशक तरुण मजूमदार ने बनायी थी. इन्ही निर्देशक ने इसका बाद में हिन्दी रीमेक भी बनाया था जिसमें सचिन और रजनी शर्मा हीरो-हिरोईन थे. उस समय मौसमी 8 वीं क्लास में पढ़ती थी.

उनका स्कूल का रास्ता तरुण मजूमदार के स्टूडियो के सामने से जाता था. जब निर्देशक के दिमाग में ये कहानी चल रही थी तब मौसमी को देखकर उन्हें लगा की यही मेरी फिल्म की हिरोईन हो सकती है. उन्होंने मौसमी चटर्जी के पिता को मुश्किल से मनाया. सिर्फ एक फिल्म ही करने देने की शर्त पर वो राजी हुए थे.

फिल्म सुपर हिट रही लेकिन मौसमी ने दूसरी फिल्म नही की. पढ़ाई जारी रही. जब वो 17 साल की थी तब उनकी चाची बीमारी से मरने की हालत में थी , उनकी आखरी इच्छा थी की मैं मौसमी का ब्याह देखकर जाऊँ. तब उनकी शादी कर दी गई. वो गायक, संगीतकार और निर्देशक ‘हेमंत कुमार’ की बहू बनी.

हेमंत दा के घर निर्देशक शक्ति सामंत का अक्सर जाना होता था. शक्ति सामंत ही मौसमी चटर्जी को हिन्दी फ़िल्मों में लेकर आये. शक्ति सामंत, हेमंत कुमार और पति के बहुत जोर देने पर ही वो फिल्म करने के लिये राजी हुई थी. उनकी पहली हिन्दी फिल्म 1972 में आयी फिल्म ‘अनुराग’ थी . ये फिल्म सचिन देव बर्मन के संगीत और मौसमी चटर्जी के किये एक अंधी लड़की के रोल के लिये याद की जाती है.

उसके बाद तो उनकी फिल्मी यात्रा कई वर्ष, सफलता से चली. मौसमी चटर्जी अपने मुँहफट और बिंदास स्वभाव के लिये जानी जाती थी. वो बड़े गर्व से बताती है कि .. ‘अपने पूरे कैरियर में वो कभी भी काम माँगने किसी निर्माता, निर्देशक के पास नहीं गयी और ना ही किसी हीरो से कभी सिफारिश करवायी. उनके साफ और स्पष्ट स्वभाव की वजह से कई बड़ी फिल्में उनके हाथ से निकल गई.

मेरा एक दोस्त है. जो बड़ा फिल्मी पंडित है. एक बार ऐसे ही बातो में कहता है.. ‘यार ये हिरोईन तो शक्ल से ही चालू लगती है.’ मैंने बोला…’ ये क्या लॉजिक हुआ? तुमने पढ़ा या सुना है कहीं… मौसमी चटर्जी के अफेयर या लिंक के बारे में? कहता है… नहीं पढ़ा-सुना तो नहीं लेकिन ऐसा लगता है. मतलब कुछ लोग सिर्फ ‘लगने’ के आधार पर ही किसी को भी कैरेक्टर सर्टिफिकेट बाँट देते है. ऐसे सर्टिफिकेट बाँटने वाले लोग फेसबुक पर भी भारी मात्रा में सक्रिय है. खैर…

एक बार शक्ति सामंत ने मौसमी चटर्जी को फोन किया….’मौसमी मैने जो तुम्हें अगली फिल्म के लिये साइन किया था. मैं उस फिल्म के लिये किसी और हिरोइन को ले रहा हूँ. साइनींग अमाउंट वापिस मत करना.. हम कोई और फिल्म करेंगे साथ में.’ मौसमी ने पूछा… ‘लेकिन वजह क्या हो गई.. मुझे बाहर करने की.’
शक्ति सामंत का जवाब था… ‘फिल्म के हीरो का कहना है कि तुम ‘काम्प्रोमाइज’ नहीं करती हो.’

जो दिखता है… वही हमेशा खरा नहीं होता.

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