नई दिल्ली. पूर्व जज के रूप में भारत के इतिहास में पहली बार कोर्ट की अवमानना नोटिस पाने वाले मार्कंडेय काटजू की माफी सुप्रीम कोर्ट ने कबूल कर ली है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस (रि) काटजू को न्यायालय की अवमानना मामले में माफी दे दी है.
काटजू ने न्यायालय के एक फैसले को गलत बताते हुए एक ब्लॉग लिखा था. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अवमाननना का नोटिस भेजा था. बाद में काटजू ने उसपर माफी मांगने की बात कहते हुए ब्लॉद को डिलीट कर दिया था.
भारतीय इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी पूर्व जज को ऐसा नोटिस मिला हो. काटजू को सोशल मीडिया पर अपने विचार खुलकर रखने के लिए जाना जाता है. अपने उस ब्लॉग में भी काटजू ने जजों और उनके फैसले पर सवाल उठाया था.
काटजू ने अपने ब्लॉग में सौम्या रेप और मर्डर केस में कोर्ट के फैसले की आलोचना की थी. उन्होंने लिखा था कि यह फैसला एक बड़ी गलती है और दशकों तक कानून की दुनिया में रहे जजों से इस तरह की उम्मीद नहीं थी.
बैंच ने कहा था कि वे जस्टिस काटजू का बड़ा सम्मान करते हैं. इसलिए चाहते हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में आएं और खुली अदालत में बहस करें कि उन्हें ऐसा क्यों लगा कि उनका फैसला संवैधानिक रूप से गलतियों से भरा था.
12 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू को सौम्या रेप और मर्डर केस में बुलाकर बहस करने को कहा था. लेकिन कुछ ही देर में बहस संयम से बाहर हो गई थी और हंगामे में बदल गई थी. बहस इतनी बढ़ गई थी कि जजों की बेंच ने गार्ड से कहा था कि वह काटजू को उठाकर वहां से बाहर ले जाएं.
इसके बाद 9 दिसंबर को काटजू ने बिना किसी शर्त के माफी मांगने की बात कही थी. काटजू ने उनके खिलाफ चल रहे अवमानना के मामले को बंद करने की भी गुहार लगाई थी.