नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अलग रह रहीं पत्नी पायल अब्दुल्ला की सुरक्षा आधार पर सरकारी आवास की मांग वाली याचिका ठुकराते हुए कहा कि अगर उनके पति निजी आवास में जा सकते हैं तो उनके साथ अलग व्यवहार करने की कोई वजह नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने कहा, जब उमर अब्दुल्ला खुद निजी रिहाइश में चले गए तो कोई वजह नहीं है कि याचिकाकर्ताओं (पायल और उनके बेटों) से अलग व्यवहार हो. हमें इस अपील में कोई दम नहीं दिखता. इसलिए यह खारिज की जाती है.
अपने फैसले में अदालत ने एकल न्यायाधीश के 19 अगस्त 2016 का आदेश बरकरार रखा जिसमें उनसे लुटियन दिल्ली में सात, अकबर रोड बंगला खाली करने को कहा गया था, जहां वह और उनके बेटे रहते थे.
पायल और उनके बेटों ने इस आधार पर सरकारी आवास के लिए अपील की कि उन्हें क्रमश: ‘जेड’ और ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दर्जा मिला हुआ है.
पीठ ने कहा कि गृह मंत्रालय के हिसाब से उन्हें तुरंत कोई खतरा नहीं है और इसपर सवाल ‘नहीं उठाया जा सकता’ और एकल न्यायाधीश भी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उनको लेकर सामान्य खतरा धारणा है.
अदालत ने पायल की याचिका को विचार योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें और उनके बेटों के साथ भेदभाव किया जा रहा, जैसा कि कुछ अन्य लोगों, केपीएस गिल और सुब्रमण्यन स्वामी को उनके सुरक्षा दर्जे के आधर पर सरकारी आवास मिला हुआ है.