सुनियोजित मदनपुर कांड : चुनाव में खड़े उप्र में मज़हबी गुंडई के सांप्रदायिक आतंक की काली कोशिश

देवरिया. उत्तर प्रदेश के रुद्रपुर विधानसभा के थाना मदनपुर फूंकने के साथ… थाने की महिला एसओ, मौजूद सीओ रुद्रपुर के सरकारी वाहन सहित ट्रक से लगायत दर्जनों वाहन को फूंकती हुई… असलहों, ईंट-पत्थरों से तैनात भीड़ केवल पुलिस के खिलाफ आक्रोशित नहीं थी. वह तैयार थी सबक सिखाने को… वो तैयार थी समुदाय आधारित हिंसा के लिए.

उस भीड़ ने यादव बहुल गांव केवटलिया में घर भी जलाए हैं, मार-पीट और बलवा किया है, थाने पहुँचने से पहले.

मदनपुर गांव जो अल्पसंख्यक बहुल है, का एक युवक रहमतुल्ला बीती 30 दिसंबर की सुबह अपने घर से लापता हो जाता है. एफआईआर मदनपुर थाने में दर्ज होती है, पुलिस अपने तफ्तीश में लग जाती है.

इस बीच गायब युवक की लाश, बीती 4 जनवरी को उसके गांव के पास के गांव केवटलिया से सटे बहती नदी पर उतराते हुए मिलती है. केवटलिया एक यादव बहुल गांव है जिसमे ठाकुर बिरादरी भी ठीक-ठाक है. गांव का सामाजिक ताना-बाना बेहद मेल-मिलाप और साहचर्य का है आपस में जातियों से ऊपर.

इस खबर के युवक के गांव मदनपुर पहुंचने पर… पूरे गांव से सैकड़ों (जो अब पुलिस के एफआईआर में 43 नामजद सहित 1 हजार की संख्या है)…. असलहों…. जिनमें कट्टे, रिवॉल्वर, देशी बम सहित ईंट-पत्थर शामिल, से लैस होकर पहले केवटलिया पहुँचते हैं.

लाश को बरामद करने आ रही पुलिस टीम से पहले ही…. मदनपुर गांव की भीड़ इस मौत के लिए केवटलिया गांव को दोषी करार देती है. इसके बाद केवटलिया के ग्रामीणों को मारा-पीटा जाता है, साथ ही गाँव के कुछ घरों में आगजनी भी की जाती है.

पुलिस के पहुँचने से पहले ही यह उन्मादी भीड़… मदनपुर थाने का रुख कर लेती है. एसओ मदनपुर इस घटना की सूचना एसपी देवरिया सहित अपने उच्चाधिकारियों को देती हैं और स्थिति की गंभीरता का आकलन कर अतिरिक्त पुलिस बल की जरूरत बताती हैं. इस सूचना के बाद सीओ रुद्रपुर मदनपुर थाने पहुंच कर…. एसपी देवरिया के स्तर से अतिरिक्त थानों से पुलिस आने का इंतजार करते हैं.

इस बीच लगभग 1 हजार (जिसकी पुष्टि दर्ज एफआईआर में संख्या से हो जाती है) की भीड़… हिंसक तेवर में मदनपुर थाना पहुँचती है. पुलिस पर आरोप लगाया जाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार और सत्ता के दबाव में पुलिस ने केवटलिया के यादव समुदाय पर कार्यवाई नहीं की.

मौजूद एसओ और सीओ के यह कहने पर कि मात्र लाश नदी में मिलने पर गांव के लोगों को तब तक दोषी कैसे मान लिया जाय जब लापता की एफआईआर में कोई नामजद भी नहीं है : मौजूद भीड़ बिना किसी उकसावे के पहले थाने के रिकार्ड को आग लगाती है जिससे पूरे थाना भवन में आग लगती है.

थाने से 30 थ्री नॉट थ्री बंदूकें, 2 रिवॉल्वर, 1 टीयर गैस गन, 8 और बंदूकें, 175 कारतूस इस कांड के बाद थाने से गायब हैं. उसके बाद भीड़ तोड़-फोड़ के साथ परिसर में मौजूद एसओ, सीओ की गाड़ी, बाहर खड़े ट्रक समेंत दर्जन भर गाड़ियों को फूंकती है. मदनपुर बाजार के ठाकुरों, यादवों और अन्य की दूकानों में तोड़-फोड़ मचाती है.

पुलिस बल कम संख्या की वजह से, संख्या में अधिक और असलहों से लैस हिंसक और उन्मादी मजहबी भीड़ के सामने शुरुआत में कमजोर पड़ती है और लाचार बने तांडव देखते रहने पर मजबूर.

इस बीच स्थानीय एसओ की अग्रिम सूचना और आकलन के बावजूद जिले स्तर पर एसपी देवरिया मुहम्मद इमरान साहब द्वारा आस-पास के थानों से अतिरिक्त पुलिस बल भेजने में दुर्भाग्य से अनावश्यक देरी की जाती है.

जिस का नतीजा रहा कि उन्मादी भीड़, गाँव, बाजार, थाने, सड़क पर घँटों उत्पात, आगजनी करती रही और पुलिस संख्या में कमजोर होने के नाते दर्शक बनी रही.

यह अच्छे और संतोषजनक संकेत हैं कि जिलाधिकारी अनीता श्रीवास्तव, घटना पर फौरन पहुंचते हुए… त्वरित उपाय करती है, आईजी सहित अन्य अधिकारी भी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए हरकत में आ जाते हैं.

इस संकेत की पुष्टि.. देवरिया जिला प्रशासन का मदनपुर, केवटलिया के आस-पास के स्कूलों को दो दिनों के लिए बंद करने और 43 नामजद उपद्रवियों सहित कुल 1 हजार अज्ञात लोगों पर मुकदमे कायम होने से होती है.

डीआईजी कहते हैं : थाना फूंकने वालों पर एनएसए लगेगा और सभी मुकदमा पाबंदों की गिरफ्तारी भी की जायेगी. असलहे गायब होने की घटना बेहद गंभीर है.

ठीक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की अधिसूचना जारी होने के दिन, एक मौत (जिसके कारणों की पड़ताल अभी बाकी है) को लेकर इतनी बड़ी घटना हो गयी? ऐसा भरोसा कर पाना सहज है कोई बहुत मुश्किल नहीं.

प्रदेश में हर दिन कुछ न कुछ हत्या, बलवा, बलात्कार आदि के मुकदमे भी दर्ज होते ही हैं, घटनाएं होती ही हैं. क्या हर ऐसी क़ानून-व्यवस्था की स्थिति में पीड़ित पक्ष या समुदाय ऐसी अराजकता, मजहबी आधार की सार्वजनिक हिंसा, आगजनी पर उतर आता है…. पैरवी में?

निश्चित ही हथियारों से लैस भीड़ का सांप्रदायिक आधार पर एकजुट होना, सड़कों पर उतर कर दूसरे गाँव में घर जलाना, मार-पीट, तोड़फोड़ करना और फिर पुलिस पर हमला कर थाना फूंक देने की घटना, बिना पूर्व तैयारी के संभव नहीं.

यह इलाके की जातीय, समुदाय, धार्मिक समरसता और साहचर्य के माहौल को न सिर्फ बिगाड़ने की जहरीली साजिश है बल्कि मजहबी आधार पर हिंसा के बल पर आतंक और अधिपत्य कायम रखने की एक सुनियोजित कार्रवाई है.

ऐसे में घटना के बाद आक्रोश में आये और अच्छी संख्या में जुट जाने के बाद भी केवटलिया और आस-पास के स्थानीय लोगों ने धीरज का जो परिचय दिया उसके लिए उनकी तारीफ़ होनी चाहिए.

घटना के जबाव में, उत्तर देने के तेवर में भी अच्छी संख्या जुट गयी थी बाद में, जिसे स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन ने भरोसे में लेते हुए शांत रखा, लोग भी अनुशासित रहे.

हालांकि कल सुबह 10.30 बजे के लगभग इलाके के एक बंधे पर कुछ लोगों ने फिर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की और एक युवक की मोटर साइकिल में आग लगा दी.

याद रखना होगा ऐसे सांप्रदायिक तत्वों को कि प्रदेश का मतदाता भावी लोकतंत्र के पर्व चुनाव की तैयारी कर रहा है. जहां उसके विकास, सुख, समृद्धि की बातें होनी है.

ऐसे में समाज का ताना-बाना बिगाड़ने की छूट किन्ही जहरीले, मजहबी तत्वों को नहीं दी जा सकती.

धर्म, जाति, कुल, गोत्र, खानदान के नाम पर लोकतंत्र में वोट करना या मांगना अगर संवैधानिक तौर पर पाप है, तो राष्ट्रवादी जाति, पंथ, मजहब इसका जवाब है.

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