लोकसभा चुनाव के समय ममता बनर्जी ने एक रैली में कहा था… ‘मोदीजी आप में दम हो, तो एक भी बांग्लादेशी को हाथ लगाकर दिखा देना.’ दरअसल वो मोदी को धमकी नही थी… वो बाँग्लादेशियों और मुस्लिमों को आश्वासन था कि मुझे वोट दो, मैं तुम्हें कुछ नही होने दूँगी.’ उसी वोट बैंक के दम पर दोबारा मुख्यमंत्री भी बनी.
चिटफंड घोटाले में खुद की गर्दन फंसने का अंदेशा तो इसे मोदी सरकार बनते ही हो गया था. इसीलिए हर संसद सत्र में टीएमसी का ड्रामा सबसे ज्यादा रहता था. 2014 से लेकर इस सत्र तक.
भूमि अधिग्रहण बिल से लेकर नोटबंदी तक. इस सारे विरोध का मकसद ही ये था कि CBI जब भी चिटफंड में इन पर फंदा कसे… इनके भ्रष्टाचारी नेताओं से पूछताछ करे या गिरफ्तारी करे… ये उसे बदले की कार्यवाही बताकर आसमान सर पर उठा सकें.
तीन दिन से यही तमाशा जारी है. कोलकाता से लेकर प्रधानमंत्री आवास तक. खुद के भ्रष्टाचार को छुपाने के लिये पूरे राज्य को गुंडों के हवाले करने का ये पहला मामला है.
बदले की कार्यवाही में भाजपा ऑफिस जलाये जा रहे है. कार्यकर्ताओं को मारा जा रहा है. यहाँ तक कि केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के घर को भी कल 6 घंटे तक टीएमसी के गुंडों ने घेरे रखा और घर में घुसने की भी कोशिश की.
असहिष्णुता का रोना रोने वाले, इस सरकार प्रायोजित गुंडागर्दी पर अब पता नही किसकी रजाई में मुँह घुसाकर सो रहे हैं.
साल 2002 में गुजरात की कानून व्यवस्था पर छाती पीटने वाले, पता नहीं अफीम चाट कर अब किस नाले में जाकर पड़े है.
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के पुलिस और CRPF पर सुनियोजित, घात लगाकर हमले करने पर चार दिन तक राज्य सरकार को कोसते हुए टीवी स्टूडियो में ही पड़े रहने वाले बुद्धिजीवी… बंगाल सरकार की इस नाकामी के बाद पता नही क्रांति की मशाल किस ‘पब’ में जला रहे हैं.
ATM की लाइन में हुई मौत का स्वतः संज्ञान लेने वाला सुप्रीम कोर्ट… पता नहीं इस हमले के बाद किस दुनिया में खोया हुआ है.
अगर राज्य सरकार अपने गुंडों के दम पर भाजपा कार्यकर्ताओं को मार रही है, भाजपा के दफ्तर जला रही है, तो केन्द्र सरकार को कार्यवाही करना चाहिये.
एक केन्द्रीय मंत्री का घर ही असुरक्षित है तो गृहमंत्री को तुरंत हालात की समीक्षा कर.. राज्य सरकार से जवाब माँगना चाहिये. अगर हालात नहीं सुधरते तो केन्द्र को हर कार्यवाही के लिये तैयार रहना चाहिये.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता केरल और बंगाल में सिर्फ मरने के लिये नहीं है.