
कामरेडों… और पाखंडी शुद्धतावादियों! कर्नाटक में कलबुर्गी साहेब को किसने मारा?
लेखक, विचारक, समाजसेवी कुलबर्गी साहेब की हत्या की वजह कर्नाटक की सरकार और जांच एजेंसियां, संपत्ति विवाद में हत्या बताती हैं.
अवॉर्ड और तमगा वापसी गिरोहों… ये कालिख कौन मलेगा आगे बढ़ के अपने मुंह पर?
जब आप सब ने अचानक हिन्दू आतंकवाद, चरमपंथ के गिरोही नारे लगा, देश के मुंह पर थूकते हुए, अवॉर्ड वापसी, तमगे वापसी के ठेले लगाये थे….?
औकात हो अगर तो…. अब एक कमेंट, टिप्पणी, पोस्ट, आर्टिकल, आलेख, प्रेस कांफ्रेंस, अवॉर्ड वापसी की घोषणा, शर्म खाने की घोषणा, मुंह पे कालिख मलने की सेल्फी करो न गिरोहबाजों!
सड़क पर उतर के देश से माफ़ी मांगों. ठीक वैसे ही जैसे आपने इस देश को अपने दार्शनिक-वैचारिक-राजनैतिक भतारों के हाथ बेचते हुए, कुलबर्गी की हत्या को हिंदू चरमपंथ के हाथों हुई हत्या बताया था… सहिष्णु देश के मुंह पर… अहिष्णुता की कालिख पोत कर. और देश, समाज, सरकारों से मिले सम्मानों, तमगों की वापसी कर के.
सरकारों को अब ऐसे गिरोहों के तमगों, सम्मानों की बन्दी की घोषणा करनी चाहिए और इनके तमगों, अकादमी अवार्डों, साहित्यिक पेंशनों, वैचारिक गुजारा भत्तों के खिलाफ छापे डालने का काम करना चाहिए.
बौद्धिक उर्फ़ बुद्धिखोरी के कालेधन, जमाखोरी, कालाबाज़ारी का भी सर्वनाश देखना चाहता है हिंदुस्तान.
उतरे हम भी थे राजपथ पर तुम्हारी इस गिरोहबाजी के खिलाफ… 7 नवंबर, 2015 की दोपहर 12.14 बजे… इसलिए तुम्हारे हलक से जवाब खींचने के अधिकारी हैं हम…. सड़क पर.

आप न सड़क पर उतरे, तो सवाल पूछने का हक़ और जिम्मेदारी आपकी भी है. तो पाखंडी अफवाहों के खिलाफ ऐसे खुलते सच्चाइयों पर इनके सजाए गिरोहबाजियों के हिसाब जरूर लीजिये अपनी-अपनी सोशल मीडिया दीवालों पर, और पूछिये –
बोलो! जवाब दोगे?