माँ की रसोई से : ગુજરાત નું ઊંધિયું

ma ki rasoi se gujarati undhiyu by ma jivan shaifaly making india
माँ की रसोई से : उन्धियुं

हाँ तो फिर आज खाने में क्या बना है..

ऊंधियुं

हाँ वो तो ठीक है… खाने में क्या है?

खाने में है प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन और कार्बोहाइट्रेड और आपका पसंदीदा ढेर सारा  फाइबर्स….

हाँ ये डिश कुछ मेरे काम की लग रही है… अब इसका नाम तो बताओ….

ऊंधियुं

फिर वही बात… ये उटपटांग रेसिपी आप मेकिंग इंडिया के पाठकों के लिए बनाया कीजिये… आपको तो पता है दो समय की कुल आठ रोटियों का सवाल है वो तो….

जी हाँ मैं जानती हूँ… वो आठ रोटी आपको किसी के भी दरवाज़े पर खड़े होने पर मिल जाएगी… लेकिन वो तभी मिलेगी जब आप मेरे हाथ का ऊंधियुं खाएंगे… आप की कृपा वहीं पर रुकी हुई है… उसको खाए बिना आपको मोक्ष नहीं मिलेगा….

अब बातों में आप से कौन जीत पाया है, खिलाइए अपना ऊंधियुं….

फिर क्या था स्वामी ध्यान विनय के सामने एक ट्रे में मैंने ऊंधियुं बनाने वाली सारी चीज़ें लाकर रख दी….

इसे क्या कच्चा ही खिलाएँगी आज?

नहीं ये मेरी उस बात का प्रमाण है कि इसमें वो सारे तत्व मौजूद है जो आपको ठण्ड में खाने चाहिए… और साथ में जो मसाले पड़ते हैं उसमें ख़ास तिल और खसखस डाली जाती हैं ताकि ठण्ड में भी हो गर्मी का एहसास….

यहाँ मेरी आंतें भूख के मारे कुलबुला रही हैं और आप है कि अपनी रेसिपी का विज्ञापन करने में लगी हैं….

अच्छा चलिए पहले मेरे इस ऊंधियुं का फोटो खींचिए फिर इसे आपके पेट के हवन कुण्ड में डालकर स्वाहा कहते हुए यज्ञ का समापन कीजिये और जठराग्नि को शांत कीजिये…

हे अन्नपूर्णा! ये बताने की भी कृपा करें कि सब्ज़ी में पकौड़े क्यों मिलाए गए हैं?

हे देवों के देव! ये पकौड़े नहीं है, इन्हें मेथी के मुठिये कहते हैं.. इसे शाक को थोड़ा Crunchy… मेरा मतलब है कुरकुरा बनाने के लिए और स्वाद बढ़ाने के लिए डाला जाता है…

देवी अब आज्ञा हो तो मैं खाना शुरू करूं…

जी स्वामी आप खाइए तब तक मैं अपने पाठको को रेसिपी बताकर आती हूँ….

तो आपको सबसे पहले बाज़ार जाकर ठण्ड में मिलने वाली लगभग सारी सब्जियां खरीदनी है… लेकिन लेकिन लेकिन… यहाँ जो आप चित्र में तुवर की फली देख रहे हैं वो आपको हो सकता है आपके शहर में ना मिले, क्योंकि इन आठ सालों में मुझे भी यह पहली बार जबलपुर में मिली है….

मेरी मम्मी के घर में जब भी ऊंधियुं बनता था सब्जियां गुजरात से आती थी… अर्थात जब गुजरात से सब्जियां आती थी तभी उन्धियुं बनता था क्योंकि इसमें डलने वाली तुवर की फली के बीज के साथ गुजरात की पापड़ी, बेंगन और रतालू का स्वाद आपको और कहीं नहीं मिलेगा… आपको बता दूं हमारे शहर में मिलने वाली सेम ही गुजरात में पापड़ी कहलाती है लेकिन वो आकार में छोटी और काजू की तरह अर्धचन्द्राकार होती हैं…

चलिए अब और भी सब्जियां  बता दूं… इसमें कच्चे केले, गाजर, आलू, गोभी, मटर भी पड़ते हैं…

मसाले में आप हल्दी मिर्ची पिसा धनिया गरम मसाला तो लीजिये ही साथ में तड़के के लिए अजवाइन जीरे के अलावा दो छोटे चम्मच तिल्ली और खसखस डालना मत भूलिए… चाहे तो पिसे मूंगफली के दाने भी डाले जा सकते हैं…

तो सबसे पहले भारी तले के बर्तन या कुकर में तीन बड़े चम्मच तेल डालकर गर्म कीजिये उसमें तड़के की सामग्री अर्थात राई, जीरा, तिल्ली, खसखस डालकर फिर सारी सब्जियां जो आपने पहले ही काटकर रखी होगी उसे डाल दीजिये. आवश्यकता अनुसार नमक भी डाल दें.

तुवर की फली को छीलकर उसके सिर्फ बीज डालिए.

सब्ज़ी या तो ढांककर पकाइए या फिर इंधन की बचत करना है तो कुकर में एक या दो सीटी दे दीजिये.

जब तक सब्ज़ी पक रही है तब तक मेथी के मुठिये तैयार कीजिये.

एक कप बेसन और आधे कप आटे के साथ धुली बारीक कटी मेथी, नमक, मिर्ची, सौंफ, अजवाइन, जीरा डालकर रोटी के आटे जैसा ही गूंथ लीजिये लेकिन उसे थोड़ा सा गीला रखिये फिर पकौड़ी का आकार देते हुए मध्यम आंच पर अच्छे से तल लीजिये.

सब्ज़ी पक जाने पर इन मुठियों को उसमें डालकर आधा ग्लास पानी और आधा चम्मच शक्कर और एक चम्मच अमचूर डालकर पांच मिनट और पकाइए.

लीजिये तैयार है आपका उन्धियुं… इस पर कटा हरा धनिया बुरककर गरमागरम रोटी के साथ परोसिये…

लीजिये आपको रेसिपी बताने के चक्कर में मेरे स्वामीजी भूखे रह गए….. जी आई…..

क्या कहा पकौड़े और चाहिए??? पहले बोलिए मुठिये….

अरे इसमें तो बेसन होता है… आपको तो पता है मैं बेसन नहीं खाता…..

चलिए चलिए आप लोग तो रेसिपी पढ़कर उन्धियुं बनाइये… इनके नखरे तो कभी ख़त्म नहीं होते….

– माँ जीवन शैफाली

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2 COMMENTS

  1. इस उतरायन पर पहली बार खाया था मैंने भी. पर बनाया नही …. सच में लाजवाब होता है 🙂

  2. हमपे तो न बनेगा
    आप बनाकर खिलाये तो आ जाएंगे खाने
    माते सादर प्रणाम
    नमन 🙏

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