नई दिल्ली. जस्टिस जेएस खेहर बुधवार को देश के 44वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बन गए. देश के पहले सिख चीफ जस्टिस खेहर करीब 7 महीने तक इस पद पर रहेंगे.
राष्ट्रपति भवन में उन्होंने प्रणव मुखर्जी की मौजूदगी में पद की शपथ ली. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे.
खेहर की नियुक्ति के बाद भी केद्र और न्यायपालिका के बीच तनाव ख़त्म होने के आसार नहीं है. खेहर उसी संवैधानिक पीठ के अध्यक्ष थे जिसने केंद्र के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) कानून को खारिज कर दिया था.
हालांकि खुद को सख्त मिजाज़ दिखाने के फेर में जस्टिस खेहर ने ऐसे निर्णय भी दिए जिस पर उन्हें आलोचनाए भी मिलीं और सभी ने उनके निर्णय को प्राकृतिक न्याय के विपरीत बताया.
ऐसा ही एक मामला सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय का है. इसमें खेहर और एक अन्य जज की बेंच ने सुब्रत रॉय को निवेशकों के पैसे नहीं लौटाने के कारण तिहाड़ जेल भेज दिया था.
बाद में कुछ वरिष्ठ वकीलों ने आरोप लगाया कि रॉय के मामले की सही सुनवाई नहीं हुई और उनके साथ प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया.
अपनी इस आलोचना के बावजूद खेहर ने इस मामले की दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया. बाद में यह मामला उनकी बेंच से लेकर एक नई बेंच को सौंपा गया था.
इसके अलावा खेहर कोर्ट में वकीलों के प्रति अपने कठोर रवैये के लिए भी ख्यात हैं. उन्हें वकीलों को फटकारने वाले जज के रूप में भी जाना जाता है.