आज समूचा विश्व जिस विचारधारा की आक्रामकता से जूझते हुए एक दहशत में जी रहा है, उसके विरुद्ध वैश्विक चेतना की जागृति के लिए, उस के मूल स्वरूप को समझना आवश्यक है.
श्री विनय कृष्ण चतुर्वेदी उपाख्य तुफैल चतुर्वेदी ने इस विचारधारा की उत्पत्ति से लेकर इतिहास के महानायक के रूप में स्थापित किए गए व्यक्ति के वध की अनिवार्यता को सच्चाई एवं बेबाक़ी से उजागर किया है.
इसके साथ ही वध करने वाले के सम्मान को अक्षुण्ण रखते हुए जन मन में उनके प्रति आदरभाव जगाने में भी सफल रहे हैं श्री चतुर्वेदी.
आप स्वयं कहते हैं –
“मित्रों, मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे इतिहास के भूले-बिसरे पृष्ठ से धूल झाड़ने का अवसर मिला.
हमें इस बात का ध्यान ही नहीं है कि हमारी सबसे बड़ी पराजय 15 अगस्त 1947 को हुई है.
उस समय देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा हमसे छीन लिया गया. हमारे राष्ट्र के करोड़ों लोग ग़ुलाम बना लिये गये.
राष्ट्र के सम्मान के लिये जीवन न्यौछावर कर देने वाले महापुरुषों के चरणों में माथा नवाने का इस अकिंचन को अवसर प्राप्त हुआ. यह गंगास्नान सा स्फूर्तिदायक था.
कुछ तथ्य आप भी देखिये. निश्चित ही काम के होंगे.”
https://youtu.be/f1WVr34YflI