BONE CHINA : गाय-बैल की हड्डियों से बने कप में पीते हैं आप चाय!

cattles bones in bone china making india

ऐसे बर्तन आज कल हर घर में देखे जा सकते है, इस तरह की खास क्राकरी जो सफेद, पतली और अच्छी कलाकारी से बनाई जाती है, बोन चाइना कहलाती है. इस पर लिखे शब्द बोन का वास्तव में सम्बंध बोन (हड्डी) से ही है.

इसका मतलब यह है कि आप किसी गाय या बैल की हड्डियों की सहायता से खा-पी रही हैं. बोन चाइना एक खास तरीके का पॉर्सिलेन है जिसे ब्रिटेन में विकसित किया गया और इस उत्पाद का बनाने में बैल की हड्डी का प्रयोग मुख्य तौर पर किया जाता है. इसके प्रयोग से सफेदी और पारदर्शिता मिलती है.

बोन चाइना इसलिए महंगा होता है क्योंकि इसके उत्पादन के लिए सैकड़ों टन हड्डियों की जरुरत होती है, जिन्हें कसाईखानों से जुटाया जाता है. इसके बाद इन्हें उबाला जाता है, साफ किया जाता है और खुले में जलाकर इसकी राख प्राप्त की जाती है.

बिना इस राख के चाइना कभी भी बोन चाइना नहीं कहलाता है. जानवरों की हड्डी से चिपका हुआ मांस और चिपचिपापन अलग कर दिया जाता है. इस चरण में प्राप्त चिपचिपे गोंद को अन्य इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है. शेष बची हुई हड्डी को 1000 सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे इसमें उपस्थित सारा कार्बनिक पदार्थ जल जाता है.

इसके बाद इसमें पानी और अन्य आवश्यक पदार्थ मिलाकर कप, प्लेट और अन्य क्राकरी बना ली जाती है और गर्म किया जाता है. इस तरह बोन चाइना अस्तित्व में आता है. 50 प्रतिशत हड्डियों की राख 26 प्रतिशत चीनी मिट्टी और बाकी चाइना स्टोन. खास बात यह है कि बोन चाइना जितना ज्यादा महंगा होगा, उसमें हड्डियों की राख की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी.

अब प्रश्न यह उठता है कि क्या शाकाहारी लोगों को बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिए? या फिर सिर्फ शाकाहारी ही क्यों, क्या किसी को भी बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिये. लोग इस मामले में कुछ तर्क देते हैं.

जानवरों को उनकी हड्डियों के लिए नहीं मारा जाता, हड्डियां तो उनको मारने के बाद प्राप्त हुआ एक उप-उत्पाद है. लेकिन भारत के मामले में यह कुछ अलग है. भारत में भैंस और गाय को उनके मांस के लिए नहीं मारा जाता क्योंकि उनकी मांस खाने वालों की संख्या काफी कम है. उन्हें दरअसल उनकी चमड़ी और हड्डियों के मारा जाता है.

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी चमड़ी मंडी है और यहां ज्यादातर गाय के चमड़े का ही प्रयोग किया जाता है. हम जानवरों को उनकी हड्डियों के लिए भी मारते है. देखा जाए तो वर्क बनाने का पूरा उद्योग ही गाय को सिर्फ उसकी आंत के लिए मौत के घाट उतार देता है. आप जानवरों को नहीं मारते, लेकिन आप या आपका परिवार बोन चाइना खरीदने के साथ ही उन हत्याओं का साझीदार हो जाता है, क्योंकि बिना मांग के उत्पादन अपने आप ही खत्म हो जायेगा.

चाइना सैट की परम्परा बहुत पुरानी है और जानवर लम्बे समय से मौत के घाट उतारे जा रहे हैं. यह सच है, लेकिन आप इस बुरे काम को रोक सकते हैं. इसके लिए सिर्फ आपको यह काम करना है कि आप बोन चाइना की मांग करना बंद कर दें.

– साभार शंकर लाल ताम्रकार

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