नई दिल्ली. समाजवादी पार्टी का ‘यादवी संघर्ष’ चुनाव आयोग तक जा पहुंचा है. अब चुनाव आयोग फैसला करेगा कि असली सपा कौन सी है? मुलायम सिंह यादव की या अखिलेश यादव की. आयोग का फैसला जिसके पक्ष में आएगा, 2017 के चुनाव में वही साइकिल चलाएगा.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि रविवार को हुए पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तरफ से सोमवार को चुनाव आयोग को अधिवेशन की जानकारी और पार्टी में हुए बदलावों के बारे में बताया जाएगा. इसके साथ ही अखिलेश गुट पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावा पेश करेगा.
इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने इस संबंध में चुनाव आयोग को पत्र भेज कर रविवार को हुए अधिवेशन के अवैध और असंवैधानिक होने की जानकारी दी. उन्होंने साथ ही कहा कि अधिवेशन में लिए गए फैसले मान्य नहीं होंगे. सोमवार को मुलायम, शिवपाल और अमर सिंह इस बारे में बैठक करने के बाद चुनाव आयोग में अपना पक्ष रख सकते हैं.
अखिलेश का साथ दे रहे वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव का दावा है कि पूरी पार्टी अखिलेश के साथ है. इसकी सूचना जल्द ही चुनाव आयोग को भेज दी जाएगी. कानूनी जानकार मानते हैं कि किसी दल में विभाजन होने या अध्यक्ष पद पर विवाद होने पर निर्वाचन आयोग तय करता है कि असली पार्टी या अध्यक्ष कौन है?
वहीं पूरे झगड़े की जड़ माने जा रहे शिवपाल यादव ने कहा कि मैं मरते दम तक नेताजी के साथ रहूंगा. मैं नेताजी का साथ कभी नहीं छोड़ सकता. शिवपाल ने कहा कि पार्टी सिंबल को लेकर कोई लड़ाई नहीं. साइकिल चुनाव चिन्ह हमारा है. सिंबल मामले में हम कोर्ट नहीं जाएंगे.
सपा के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपना-अपना दावा करने के चलते आशंका जताई जा रही कि विधानसभा चुनाव से पहले उस पर रोक लग सकती है. हालांकि, पर्यवेक्षकों का मानना है कि अखिलेश गुट को चुनाव चिन्ह पर दावा करने के लिए चुनाव आयोग के पास जाना होगा, क्योंकि आयोग के रिकार्ड में मुलायम सिंह यादव और अन्य पदाधिकारियों का नाम है.
यदि चुनाव चिन्ह पर अखिलेश दावा करते हैं, तो ऐसी स्थिति में आयोग को दूसरे पक्ष को नोटिस देना होगा और इस पर फैसला करने से पहले दोनों पक्षों को सुनना होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में यदि चुनाव आयोग किसी एक पक्ष को चिन्ह देने के फैसले पर नहीं पहुंच पाता है तो वह इस पर रोक लगा सकता है, ताकि चुनावों के दौरान किसी पक्ष को अतिरिक्त लाभ ना हो.
इसका मतलब हुआ कि अगर विधानसभा चुनाव तक इस विवाद का हल न निकला तो साइकिल सिम्बल सीज हो जाएगा. ऐसे में सपा के दोनों खेमों को 109 फ्री सिम्बल से किसी पर चुनाव लड़ना पड़ेगा.