लखनऊ. उत्तरप्रदेश में पिछले कुछ महीनों से चल रहा समाजवादी पार्टी का ‘यादवी संघर्ष’ अपने चरम पर पहुंच कर उस वक़्त मुग़ल-ए-आज़म सरीखे फिल्मी ड्रामे में तब्दील हो गया जब मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और अपने बेटे को छः साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया.
अब शहंशाह अकबर और शहज़ादे सलीम की तरह मुलायम और अखिलेश चुनावी जंग के मैदान में आमने-सामने होंगे. अखिलेश यादव के साथ पार्टी महासचिव प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव को भी छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.
पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अखिलेश और पार्टी रामगोपाल यादव के निष्कासन का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि रामगोपाल ने पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समझ नहीं पा रहे कि रामगोपाल उनका भविष्य बर्बाद कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव ने पार्टी उम्मीदवारों की घोषित सूची से नाराज़ होकर अपने 235 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी वहीं, रामगोपाल यादव ने आगामी एक जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का आपातकालीन सम्मेलन बुला लिया था. पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए यह कार्रवाई की.
इस घोषणा के बाद लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थक सड़कों पर उतर आए. उन्होंने अखिलेश के समर्थन और उनके चाचा तथा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के विरोध में जमकर नारेबाजी की.
गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए निकाल दिया गया था. इसके बाद कुछ दिन चले पारिवारिक ड्रामे के बाद मुलायम ने उनको पार्टी में वापस ले लिया था.
इस बारे में पूछे जाने पर मुलायम ने कहा कि रामगोपाल ने माफी मांगते हुए अपनी गलती स्वीकार कर ली थी. इसलिए उनको माफ कर दिया था, लेकिन अब पार्टी में वापस आने के बाद रामगोपाल ने सीधा मुझ पर हमला किया है. इसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इसलिए रामगोपाल को पार्टी से निकाला.
मुलायम सिंह यादव ने आगे कहा, रामगोपाल ने मुझे बिना बताए पार्टी का अधिवेशन बुलाने का फैसला लिया. जबकि इस तरह का फैसला लेने का अधिकार केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को है.
रामगोपाल के पार्टी सम्मेलन को असंवैधानिक करार देते हुए मुलायम सिंह ने सपा कार्यकर्ताओं से उस सम्मेलन में भाग नहीं लेने की अपील की. उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि आगामी चुनाव में सपा की तरफ से मुख्यमंत्री कौन होगा, यह हम तय करेंगे.
सपा सुप्रीमो ने कहा, यदि अखिलेश अपना भविष्य खुद खराब करने पर तुले हैं तो उसमें कोई क्या कर सकता है. मेरा लक्ष्य पार्टी को बचाना है, इसलिए यह कार्रवाई की.
उन्होंने कहा कि मैं भी मुख्यमंत्री रहा हूँ लेकिन मेरे समय में ऐसी कोई बात नहीं रही. रामगोपाल ने अखिलेश का भविष्य खराब किया. अखिलेश को भी अनुशासनहीनता की वजह से छह साल के लिए पार्टी से निकाला जाता है.
निष्कासन की गाज गिरने के बाद रामगोपाल यादव ने कहा कि ‘ये निष्कासन पूरी तरह से असंवैधानिक है. बिना पक्ष सुने कार्रवाई नहीं की जा सकती. सम्मेलन तो बुलाया ही जाएगा. नेताजी (मुलायम सिंह) को पार्टी का संविधान ही मालूम नहीं है.’
रामगोपाल ने कहा, ‘इस पार्टी में लगातार शीर्ष स्तर से असंवैधानिक काम हो रहे हैं. अगर पार्टी का अध्यक्ष असंवैधानिक काम करे तो फिर सम्मेलन कौन बुलाएगा? एक भी मीटिंग नहीं हुई तो फिर कैसे पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए गए. पार्टी के कार्यकर्ताओं की मांग पर सम्मेलन बुलाया गया है.’
इसके बाद मुलायम सिंह ने पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि रामगोपाल यादव के बुलाए अधिवेशन में पार्टी नेताओं और मंत्रियों के शामिल होने को भी अनुशासनहीनता माना जाएगा और कार्रवाई की जाएगी.
मुलायम ने कहा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा उसका वो जल्द ऐलान करने वाले हैं, क्योंकि ये उनका अधिकार है. उन्होंने कहा कि पार्टी को उन्होंने खड़ा किया है और वो उसे टूटने नहीं देंगे. साथ ही सपा प्रमुख ने दोहराया कि रिश्ते से बड़ी उनके लिए पार्टी है.