अतुल्य भारत : प्रेम मंदिर, जहां प्रेम ही पूजा है

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आइये आज मैं आपको वृन्दावन धाम के सबसे सुन्दर अति आधुनिक तकनीक से बना प्रेम मन्दिर ले चलता हूँ.

यह मन्दिर अब तक भारत के और मंदिरों से अनेक मामले में अलग है. यहाँ फूल माला प्रसाद धूप अगरबत्ती चढ़ाने की मनाही है. पैसा, रुपया चढ़ावे की भी कोई आवश्यकता नहीं है. हाँ अगर आपके मन में मन्दिर में कुछ धन देने की इच्छा है तो जहां कहीं दान पात्र रखा है उसमें डाल दो. अगर आप चाहते हैं कि डोनेशन जेकेपी ट्रस्ट को देना तो काउन्टर पर जमा करें और पक्की रसीद ले लें, जो इन्कम टैक्स में छूट भी दिलाती है.

45 एकड़ के फैले मन्दिर परिसर में एक कागज का टुकड़ा भी पड़ा नहीं मिलेगा. यहाँ जात-पात छुआछूत स्त्री पुरूष का कोई भेदभाव नहीं है.
अगर आप प्रभु को अर्पित किया हुआ शुद्ध देशी घी से निर्मित प्रसाद लेना चाहते हैं तो खरीद सकते हैं और जो नहीं खरीद सकता उसको फ्री भी दिया जाता है समय-समय पर.

मन्दिर का निर्माण 80 हजार टन इटली से आयातित बहुमूल्य पत्थरों से 11 साल में अति अनुभवी शिल्पकारों एवं इंजीनियरों द्वारा रात दिन के परिश्रम से तैयार किया गया है.

इसका निर्माण भारत के पांचवे जगद्गुरु वेद शास्त्रों के मूर्धन्य विद्वान एवम् इस युग के महानतम सन्त श्रोतियं ब्रम्हनिष्ठम् महापुरूष श्री श्री 1008 श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उनके सर्व समर्पित देश विदेश के शिष्यो के चन्दे से बना है.

प्रथम तल पर राधाकृष्ण और द्वितीय तल पर श्रीराम सीता की ऐसी मनमोहक प्रतिमा है जो पूरे विश्व में कहीं नहीं मिलेगी. इसके अलावा अनेक महापुरुषों की भी प्रतिमाएं हैं जिन्होंने अपने तप के बल पर प्रभु को पाया है.

अब ज्यादा नहीं बताऊंगा खुद जाकर भी तो देखो. मैं उसी महापुरुष का एक महा निकम्मा शिष्य होण. मूर्ख अज्ञानी तो मेरी डिग्री मे शुमार है.

लाडली लाल की जय
जय जय श्रीराम राधे

– दादा जे सी श्रीवास्तव

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