विमुद्रीकरण के मुद्दे पर लालू के महाधरना से अलग हुई जद यू और कांग्रेस

पटना. विमुद्रीकरण के खिलाफ बुधवार से बिहार के सभी जिलों में रैली करने जा रहे राष्ट्रीय जनता दल को सत्ता में उसके सहयोगी दलों, जद यू और कांग्रेस ने बड़ा झटका दिया है. दोनों ही दलों ने राजद के ‘महाधरना’ में शामिल होने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है.

जद यू प्रवक्‍ता नीरज कुमार ने आज कहा कि “पार्टी अध्‍यक्ष और बिहार मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने काले धन के खिलाफ कदम के तौर पर नोटबंदी का समर्थन किया है. वह 50 दिनों के बाद नोटबंदी के प्रभाव की समीक्षा करेंगे. उससे पहले नोटबंदी के किसी तरह के विरोध के समर्थन या उसमें शामिल होने का सवाल ही नहीं है.”

वहीं, बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष अशोक चौधरी ने भी स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी नोटबंदी के खिलाफ राजद के धरने में हिस्‍सा नहीं लेगी. उन्‍होंने कहा कि “नोटबंदी के खिलाफ राजद के धरने को कांग्रेस अपना समर्थन नहीं देगी.”

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने घोषणा की थी कि नोटबंदी के खिलाफ उनकी पार्टी सभी जिला मुख्‍यालयों पर 28 दिसंबर से जुलूस, रैली और धरना का आयोजन करेगी. इसके बाद वर्ष 2017 की शुरुआत में पटना में एक बड़ी रैली भी की जाएगी.

नीतीश कुमार से उलट, लालू प्रसाद विमुद्रीकरण के फैसले का विरोध करते रहे हैं. हालांकि, 23 दिसंबर को पत्रकारों से बातचीत में राजद सुप्रीमो ने दावा किया था कि नीतीश 28 दिसम्बर को नोटबंदी के खिलाफ पार्टी की प्रस्तावित महारैली में शिरकत करेंगे.

हालांकि 24 घंटे बाद ही लालू प्रसाद यादव अपने बयान से पलट गये थे. 24 तारीख को उन्‍होंने कहा, ‘‘मैं कौन होता हूं नीतीश कुमार को टर्म्‍स डिक्‍टेट करने वाला.”

जद यू सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने काफी सोच समझकर नोटबंदी का समर्थन किया है. हालांकि, उन्होंने कहा था कि 50 दिन के बाद उनका दल नोटबंदी पर लिए गए अपने स्टैंड की समीक्षा करेगा और आगे की रणनीति तय करेगा.

इधर, महाधरना को लेकर अकेले पड़े राजद अध्यक्ष ने अपने मित्र दलों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. लालू प्रसाद ने बिना किसी दल या नेता का नाम लिये बगैर महागठबंधन के घटक दलों पर प्रहार करते हुए कहा है कि कुछ लोग ‘ईगो’ के चलते उनके धरने में शामिल नहीं होना चाहते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसे महाठबंधन के बिखराव के रूप में नहीं देखना चाहिए.

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