नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने देश के 20 हजार एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस (विदेशी चंदा नियमन कानून लाइसेंस / Foreign Contribution Regulation Act) रद्द कर दिए हैं. सरकार ने इन्हें बंद करने का कारण एफसीआरए कानून का उल्लंघन बताया है.
देशभर में लगभग 33 हजार एनजीओ मौजूद हैं लेकिन अब 20 हजार के लाइसेंस रद्द होने के बाद सिर्फ 13 हजार एनजीओ ही मान्य रह गए हैं. लाइसेंस रद्द होने के बाद अब ये एनजीओ विदेश से चंदा नहीं ले पाएंगे.
मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के विदेश विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह को यह जानकारी दी गई.
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि करीब 20,000 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद अब देश में सिर्फ 13,000 एनजीओ कानूनी तौर पर मान्य रह गए हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सारे एनजीओ के कामकाज की समीक्षा की कवायद करीब एक साल पहले शुरु हुई थी और यह प्रक्रिया अब भी चल रही है.
करीब 13,000 मान्य एनजीओ में से करीब 3,000 ने लाइसेंस के नवीनीकरण के आवेदन किए हैं और गृह मंत्रालय को पहली बार एफसीआरए के तहत पंजीकरण के लिए 2,000 नए आवेदन मिले हैं.
इनके अलावा 300 एनजीओ अभी पूर्व अनुमति श्रेणी के दायरे में हैं, लेकिन एफसीआरए के तहत वे पंजीकृत नहीं हैं. बहरहाल, गृह मंत्रालय ने ‘ऑटोमेटिक रूट’ के तहत करीब 16 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंसों को दोबारा जारी किया.
15 दिसंबर को सरकार ने 7 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस कैंसल कर दिए थे. इनमें एक्टिविस्ट शबनम हाशमी का एनजीओ भी शामिल था. शबनम के अलावा ग्रीनपीस इंडिया और सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ के दो एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस भी पिछले दिनों कैंसल किए गए थे.