कल एक मित्र के साथ एक ऐसे डॉक्टर के यहाँ गया जिनके बारे में मशहूर था कि वे कोई आलतू फालतू दवाएँ ना लिख कर प्रचलित नामों की ही दवा लिखते हैं…. उनके क्लीनिक के बगल वाला दवा दुकानदार 10% और वो पैथालॉजी लैब वाला सैंपल कलेक्टर भी 15% कम कर देता है….
स्वाभाविक है सब बढ़िया लगता है…. पेशेंट भी ज्यादा सयानपत्ती ना कर वहीं से निपट लेता है….. वैसे भी मरीज या उसके अटेंन्डेंट की हिम्मत ही कहाँ जो डाक्टर से शरण पाये इन लोगों को इगनोर कर सके…. नहीं तो लैब रिपोर्ट गलत और दवा भी नकली बताई जा सकती है….
अपने मित्र के आग्रह पर मैंने अपनी नहीं चलाई और चुपचाप दवा लेने चला गया….
दवा दुकानदार को मुस्करा कर अपना परिचय देकर सही रेट लगाने को बोला….. उसने भी मुस्करा कर 10% का ही अहसान ठोंक दिया….. बिल में MIKACIN की कीमत 71 रूपए (प्रिंट 77.70) और RABALKEM-DSR की कीमत 89 रूपए लगा रखी थी… प्रिंट 98 थी… लेकिन ये निश्चित ही जेनरिक दवा थी…. सो बिल देख कर माथा ठनका…. ये कीमत मेरे गले नहीं उतरी….
दवा वापस कर अंदर लौटा तो मित्र लैब वाले को अपना सैंपल दे रहा था…. उसने अपना पर्चा बनाया…. 15% कम वाला भी गलत लगा…. अपने एक लैब वाले लंगोटिया मित्र को फोन मिला कर उन जाँचों का एस्टिमेट पूछा तो उसने 3200 रूपए वाले उस पर्चे का बिल डॉक्टर के नाम की जगह self लिखने पर मात्र 2400 बताया….
बस क्या था, लैब वाले लड़के को पैसे नहीं दिये…. लड़का उलझा कि फिर ये खून क्यों निकलवाया…. इस पर उल्टे मैंने उससे खून के पैसे मांग लिए….
मित्र तो खैर परेशान था, लेकिन उसे मेरे सनक पता थी…. ऑटो में बैठे और पहले लैब पर सेंपल दिया फिर फौव्वारा की मेडिकल मार्केट पहुंचे….
वहाँ हमारे गाँव खंदौली वाले दूकानदारों ने मुनाफाखोर दूकानदारों की ऎसी-तैसी कर रखी है. प्रिंट से एक प्रतिशत कम न बेचने वाले रिटेलर्स को केवल खंदौली वालों के कारण ही 15% डिस्काउंट पर आना पड़ गया है…. जेनरिक तो प्रिंट से 70% तक कम और इंजेक्शन यहाँ 60 से 90% डिस्काउंट पर मिलने लगे हैं….
खैर, यहां 2900 वाला बिल मात्र 2100 रूपए का बना… MIKAASIN 35 रूपए का और RABALKEM-DSR का 89 रूपए वाला पत्ता भी 30 रूपए का लगा…. मेरी सनक से बुरी तरह परेशान मित्र बोला, ‘भाई सेठ… तोय मैंने आज मनई मन गारी तौ भौत दईं पर तूनें पोल दिखाय दई जा लेन की… समझत तौ हते कहूँ ठगी होत है पर इतनी…. जा नाएँ जानत हते.’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा जी, जनता के अनुसार तो शायद आप ने अभी तक कुछ नहीं किया…. आप जैसे आए हो वैसे चले जाओगे… लेकिन आपको कुछ करना है तो ये करिए ना…. देखिये इकॉनमी और जनता को कितना प्रत्यक्ष और कितना परोक्ष लाभ मिलता है.
डॉक्टर के क्लीनिक, नर्सिंग होम और हॉस्पिटल्स पर स्वैप मशीन लगवाइए…. देखिये मरीजों की संख्या कितनी बढ़ी हुई आती है…. इनके अंदर और अगल-बगल वाले केमिस्ट्स की टोटल बिक्री सिर्फ स्वेपिंग से हो, ऐसा कानून बनवाईए….
आखिर जेनरिक वाली दवा, लागत और मुनाफा के बाद चौगुनी और इंजेक्शन में दस गुने तक की पोल क्या केवल डॉक्टर्स के हिस्से में रहे!!! इनकम टैक्स और ग्राहक के हिस्से में भी तो कुछ आए….
पैथोलॉजी लैब पर लगवाइए आखिर यहाँ से 50% कमीशन डॉक्टर्स को जाता है…. MIR, अल्ट्रा साउंड, CT स्कैन, डिजिटल एक्स रे, कलर डॉपलर्स, सब जगह 50% से ज्यादा कमीशन है डॉक्टर्स का…. और नर्सिंग होम, हॉस्पिटल्स के चार्ज तो दिन दूने रात चौगुने बढ़ते ही जा रहे हैं….
कन्सल्टेशन फीस हर बार बड़ी हुयी तो मिलती ही है…. साथ ही अभी कुछ दिन पहले एक बार की फीस दस दिन, फिर 7 दिन और अब तो हर बार लगने लगी है…. यहाँ तक कि बड़े डॉक्टर्स तो दिन में रिपोर्ट भी चार बार देखें तो चार बार फीस ले लेते हैं….
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जी क्या कमाओगे GST से…. ज़रा इधर मेडिकल इंडस्ट्री पर निगाह मार कर तो देखिये!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी नोटबंदी में आपने एक बार भी इस लाइन का नाम नहीं लिया…. ज़रा आपकी भी नज़र इधर घूमे तो आप पाएंगे कि आपकी कैशलेश स्कीम बिना किसी लॉटरी के खुद ही भागती है और कितना कालाधन मिलता है….
और सबसे बड़ा लाभ तो इस लाइन के ईमानदार और धरती पर भगवान की भूमिका निभाने वाले डॉक्टर्स और लैब संचालकों को मिलेगा…. उनको उनका असली यश मिलेगा….