नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा और अन्य के खिलाफ किया मानहानि का मुकदमा

मुंबई. टाटा मोटर्स के निदेशक पद से हटाए जाने के एक दिन बाद ही नुस्ली वाडिया ने टाटा सन्स, उसके अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा और कुछ डायरेक्टर्स के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस फाइल कर दिया.

इससे पहले 22 दिसंबर को टाटा मोटर्स के शेयरहोल्डर्स में से 71.20 प्रतिशत लोगों ने नुस्ली को स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाने के लिए वोट किया था.

वाडिया ने आरोप लगाया कि टाटा ग्रुप द्वारा तीन कंपनियों को भेजे गए स्पेशल रिजॉल्युशन की भाषा ‘अपमानजनक और नुकसान पहुंचाने वाली’ है.

यह वोटिंग गुरुवार को एक्ट्राओर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) के दौरान मुंबई में हुई थी. वाडिया को छोड़कर वहां बोर्ड के सभी डायरेक्टर मौजूद थे. वाडिया ने चार पन्नों का पत्र भिजवाया था.

वाडिया के पत्र को EGM मीटिंग में सचिव ने पढ़कर सुनाया. पत्र में लिखा था कि वीडिया जानबूझकर मीटिंग में नहीं आए क्योंकि उससे पहले हुई मीटिंग्स को टाटा कंपनी ने अनुपयुक्त और शर्मनाक तरीके से किया था.

कंपनी के कुल शेयरधारकों में से 69.93 प्रतिशत शेयरधारकों ने मतदान में भाग लिया जिसके 70.20 प्रतिशत ने वाडिया को निदेशक मंडल से हटाने के पक्ष में मतदान किया और 28.8 प्रतिशत ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है.

पत्र में वाडिया ने टाटा पर आरोप लगाया कि मीटिंग में गिने-चुने लोगों को बुलाते हैं और उन्हें ही बोलने देते हैं जिन्हें वे बोलना देना चाहते हैं. वाडिया ने यह भी लिखा था कि भारत के कॉरपोरेट इतिहास में उन्होंने पहली बार ऐसा देखा है.

वाडिया को बुधवार को टाटा स्टील के स्वतंत्र निदेशक पद से भी हटा दिया गया था. उन्होंने एक सप्ताह पहले भी बॉम्बे हाईकोर्ट में 3 हजार करोड़ का मानहानि का केस फाइल किया था.

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