कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गाँधी ने गुजरात में एक रैली में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगाए हैं.
ये कोई नयी बात नहीं है. इसके पहले भी कांग्रेस, कम्युनिस्ट दल, गुजरात सरकार पर टाटा नैनो को 40000 करोड़ की सब्सिडी, सॉफ्ट लोन देने का आरोप लगा चुके हैं.
इनके मुताबिक गुजरात में जो इंडस्ट्री खड़ी हुई हैं, वो भ्रष्टाचार की बदौलत हुई हैं. और बाकी प्रदेश इस करप्शन में नाकाम रहे हैं.
नीचे प्रस्तुत है उसी तथाकथित 40 हजार करोड़ की सब्सिडी, लोन, टाटा ग्रुप को नाजायज फायदा पहुँचाने का लेखा जोखा.
ढाई साल पहले लोकसभा चुनावो के दौरान गुजरात सरकार द्वारा टाटा की नैनो को 20 साल के लिए 9750 करोड़ का लोन 0.1 परसेंट की ब्याज दर से और 20-30 हज़ार करोड़ की सबसिडी दिये जाने की बहुत चर्चा हुई थी.
इसी बहाने मोदी जी को कोसा भी बहुत गया था. इसे भ्रष्टाचार बताया गया और कारपोरेट-सरकार के बीच का एक नीच गठजोड़ बताया गया.
इसे जनता के पैसे की खुली लूट कहा गया था. तमाम वामपंथी साथियों ने इस मुद्दे को खूब उछाला.
हालांकि तब भी मेरा यही कहना था कि कोई सरकार भला कैसे किसी कंपनी को लोन दे सकती है, ये काम तो किसी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन का है.
बहरहाल अब जैसा मुझे मालूम चला है कि ये 9750 करोड़ का सॉफ्ट लोन था, सरकार ने कैश मे कोई रकम टाटा को नहीं दी थी.
सॉफ्ट लोन का अर्थ है कि टाटा नैनो की बिक्री पर जो सेंट्रल सेल्स टैक्स और वैट की रकम होगी वो टाटा को वापस मिल जानी थी. और उसे 20 साल के बाद 0.1 परसेंट ब्याज की दर से टाटा को वापस लौटाना था.
ऐसी स्कीम लगभग हर प्रदेश अपने यहाँ इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए करता है. उत्तराखंड मे, हिमाचल मे सेल्स टैक्स पर पूरी छूट मिला करती थी कभी.
कई सरकारें इन्कम पर टैक्स की छूट घोषित करती हैं. जबकि गुजरात सरकार उस पैसे को 20 साल के बाद वापस भी ले रही थी. बंगाल में गुजरात से ज्यादा ही सुविधाएं टाटा को मिल रही थीं.
9750 करोड़ की रकम भी इसलिए थी कि सरकार और टाटा के बीच एग्रीमेंट की शर्तो के मुताबिक टाटा जितना निवेश करते उसका 330 प्रतिशत टैक्स टाटा को वापस मिल जाता.
टाटा ने 2900 करोड़ निवेश किए. कॉमन सेंस की बात है यदि कोई 3000 करोड़ का निवेश कर रहा है, पूरा प्रोजेक्ट ही 3000 करोड़ का है उसे 10,000 करोड़ का लोन कोई भी कैसे और क्यों दे सकता है.
यही हाल कथित सबसिडी का है. इसकी गणना मे प्लांट तक बनी सड़क की कॉस्ट और पानी की पाइप लाइन बिछाने की कीमत तक जोड़ ली गयी है.
दो साल पहले 14 जुलाई को गुजरात सरकार ने लिखित में स्वीकार किया कि टाटा नैनो को दिये गए सॉफ्ट लोन की कुल पूंजी 480 करोड़ है.
ये इतनी कम इसलिए हो गयी है क्योंकि टाटा अपनी कार नैनो को अपेक्षित संख्या में नहीं बेच पाये. और इस सॉफ्ट लोन की स्कीम का फायदा नहीं उठा पाये.
उम्मीद है अगली बार लोग ऐसा आरोप लगाने से पहले वे अपना होम वर्क ठीक से कर लेंगे.
सुना है इस आरोप की शुरुआत सीताराम येचूरी ने एक आर्टिकल लिख कर की थी और इस आरोप का आधार गुजरात सरकार से लीक हुए एक कैबिनेट नोट को बनाया गया था.