नई दिल्ली. काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी नरेंद्र मोदी सरकार की मुहिम का साथ देते हुए चुनाव आयोग ने एक और सार्थक पहल की है.
आयोग ने सिफारिश की है कि राजनीतिक पार्टियां सीए (चार्ट्ड एकाउंट) से अपने एकाउंट का ऑडिट कराएं. फिर उसके बाद ऑडिट का ब्यौरा चुनाव आयोग को सौंपा जाए.
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इससे पहले आयोग ने राजनीतिक दलों के चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार से मांग की थी कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन करके दो हजार रुपये से अधिक के चंदों के स्रोत बताना अनिवार्य किया जाना चाहिए. फिलहाल यह सीमा 20 हजार रुपये है.
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इसके बाद आयोग की यह भी मांग की कि आयकर में छूट उन्हीं दलों को मिलनी चाहिए, जो चुनावों में नियमित रूप से हिस्सेदारी करते हैं.
आयोग ऐसे 200 से अधिक दलों के वित्तीय मामलों की जांच के लिए आयकर अधिकारियों को पत्र लिखने वाला है, जिन्हें उसने चुनाव न लड़ने के कारण ‘सूची से बाहर’ किया है.
भारत में 1780 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दल हैं. इसके अलावा देश में सात राष्ट्रीय दल- भाजपा, कांग्रेस, बसपा, तृमूकां, भाकपा, माकपा और राकांपा हैं. इसके अलावा 58 क्षेत्रीय दल हैं.
अब चुनाव आयोग ने एक और कदम उठाते हुए केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि सभी राजनीतिक दल अपने एकाउंट का ब्यौरा रखें.
सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने सिफारिश की है कि राजनीतिक पार्टियां सीए (चार्ट्ड एकाउंट) से अपने एकाउंट का ऑडिट कराएं.
फिर उसके बाद ऑडिट का ब्यौरा चुनाव आयोग को सौंपा जाए. सभी राजनीतिक पार्टियां पैसे का पूरा लेखा जोखा रखें.
सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने के कानून में भी बदलाव की मांग की है. गलत एफिडेविट देने पर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.
आयोग ने सिफारिश की है कि एक उम्मीदवार एक ही क्षेत्र से चुनाव लड़ें. एक उम्मीदवार का चुनाव खर्च सत्तर लाख रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
साथ ही आयोग चाहता है कि चुनाव प्रक्रिया के रिश्वत के केस में दो साल की सजा हो. गलत एफिडेविट देने की स्थिति में दो साल की सजा की भी चुनाव आयोग ने मांग की है.
चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले एक्जिट पोल पर भी रोक लगाने की मांग की है. ओपिनियन पोल पर भी कुछ हद तक प्रतिबंध होना चाहिए.
साथ ही आयोग ने चुनावी पार्टियों की मान्यता रद्द करने का अधिकार दिए जाने की मांग भी की है. 20 हजार से ज्यादा चंदा देनेवालों का ब्यौरा होना चाहिए.
चंदा देनेवालों का नाम, पता और पैन नंबर होना चाहिए. राष्ट्रीय पार्टियों और विधानसभा चुनाव लड़नेवाली पार्टियों को आयकर में छूट मिलना चाहिए.