मान लीजिये आप शहर के बाहर गए, घर में ताला लगा के. एक चोर जो अक्सर मुहल्लों में जांचता रहता था कि कौन सा घर खाली है उसने मौका ताड़ लिया.
सेंध मारके, ताला तोड़ के, वो आपके घर घुस आया. चोरी करते-करते में ही किसी तरह मोहल्ले वालों को भनक पड़ गई और चोर धरा गया. जाहिर है पिटेगा भी और थाने भेजा जाएगा, जेल भी होगी.
अब सोचिये कि आपके घर की नौकरानी, काम वाली बाई के साथ किसी दिन उसकी चार-छह साल की बिटिया आई.
उसे किचेन में खड़ा करके जब तक बाई काम करती, बच्ची की नजर वहीँ रखी किसी मिठाई पर पड़ी. उसने एक टुकड़ा बिना किसी से पूछे उठा कर खा लिया.
अब काम वाली बाई, और आपको, दोनों को ये नजर आ जाता है. हिसाब से ये चोरी है, इसके लिए बाई फ़ौरन बच्ची को दो-चार थप्पड़ भी जड़ देगी. लेकिन इस चोरी के लिए बच्ची को वो चोर वाली सजा तो मिलेगी नहीं!
क्यों भाई, क्या अंतर आ गया जो एक चोरी की जेल जैसी बड़ी सजा, एक पे खाली डांट?
असल में इरादे का फर्क था. चोर का इरादा पहले से ही चोरी का था, वो पूरी तैयारी के साथ चोरी करने के लिए ही घर में घुसा था. बच्चे का ऐसा कोई इरादा नहीं था.
इसी को क्राइम एंड पनिशमेंट के शास्त्रों में मोटिव कहते हैं.
अगर आप क़त्ल के जुर्म में भी अदालत में ले जाए जाते हैं, आपपर क़त्ल का इल्जाम साबित भी हो जाता है तो भी आपको सजा नहीं दी जा सकती.
जब तक मोटिव (motive) सिद्ध नहीं होता आपको सजा नहीं दी जाएगी.
अगर कोई बलात्कार की कोशिश कर रहा हो और लड़की उसे जान से मार दे तो?
लड़की का मर्डर का इरादा, Motive नहीं था, उसे सजा नहीं दी जा सकती. लेकिन लूट के लिए हत्या कीजिये तो motive लूट होगा, इसलिए फांसी दी जा सकती है.
तैमूर भी कोई गरीब बेचारा नहीं था. बादशाह था जो कि एक लाख मुजाहिदीनों की फौज़ जुटा सकता था.
भूख-तंगहाली की वजह से भारत लूटने नहीं आ गया था. अगर किसी के बुलाने पे भी आया था, तो फिर तो और किराये का गुंडा हुआ.
अपने इरादे, अपनी नीयत, अपने मोटिव की वजह से वो अपराधी होता है. उसे आज ही नहीं अगली कई पीढ़ियों तक गालियाँ पड़ेंगी.
जैसे मीर जाफर भी सिर्फ नाम है लेकिन उसका मतलब आज गद्दार होता है!
अब अगर ये कहने आये हैं कि नाम बिगाड़ना उचित नहीं तो eponyms वो शब्द होते हैं जो नाम से बने हैं.
जैसे Boycott जिसका मतलब बहिष्कार होता है वो Charles C. Boycott (1832-1897) नाम के आयरिश जमींदार के नाम से बना है.
जाड़े में पहने जाने वाले कार्डिगन का नाम क्रीमियन वॉर के चार्ज ऑफ़ द लाइट ब्रिगेड वाले सातवें अर्ल ऑफ़ कार्डिगन (James Thomas Brudenell) के नाम पर है.
जो नारीवादी इस्तेमाल करते हैं वो male chauvinist pig वाले जुमले का chauvinism नेपोलियन के जनरल निकोलस चौविन के नाम से है. वो नेपोलियन के मरने के बाद भी उसी के प्रति वफादार रहे थे.
चुनावी धांधली के लिए बुद्धिजीवी जो gerrymandering लिखते हैं वो Elbridge Gerry के नाम से बोस्टन गजेट अखबार के एक पत्रकार ने बनाया था.
गौ हत्यारे अख़लाक़ को भीड़ द्वारा पीट कर मारने के लिए जिस lynch शब्द का इस्तेमाल हुआ था वो 1782 में विलियम लिंच के नाम से जन्मा था, जिसके पास त्वरित ‘न्याय’ का अधिकार आ गया था.
बाकी आज तो ‘तैमूर‘ का मतलब ‘लुटेरा’ हो जाने पर ऐतराज ना कीजिये मियां! आपकी ही बनायी परंपरा के हिसाब से है.