नई दिल्ली. राजनीतिक दलों को मिली इनकम टैक्स छूट और 20 हज़ार रूपए तक का गुप्त दान देने की सुविधा, काले धन को सफ़ेद बनाने का उपकरण बनी हुई है.
काले धन के खिलाफ जारी नरेंद्र मोदी सरकार के अभियान से प्रेरित होकर चुनाव आयोग ने पिछले दिनों गुप्त दान की सीमा को 20 हज़ार से घटाकर दो हज़ार रूपए करने की सिफारिश की थी.
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इसके अगले रोज़ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए चुनाव आयोग के इस अनुरोध का समर्थन करते हुए संकेत दे दिया था कि इस बारे में कार्रवाई की जाएगी.
इसके बाद चुनाव आयोग ने ऐसे दलों को छांटने का काम शुरू कर दिया है जिनका अस्तित्व सिर्फ कागज़ों पर है, जो कभी चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेते.
चुनाव आयोग को संदेह है कि ऐसे राजनीतिक दल सिर्फ काले धन को सफेद करने के लिए बनाए गए हैं.
देश में अभी 1850 से अधिक पंजीकृत राजनीतिक दल हैं. इनमें से राष्ट्रीय और प्रादेशिक दलों को छोड़कर साढ़े 1700 से अधिक दल ऐसे हैं जिनका कभी नाम भी नहीं सुना गया.
दिलचस्प बात यह है कि चुनाव आयोग के पास ऐसे राजनीतिक दलों को अपंजीकृत करने की शक्ति नहीं है. वर्तमान कानून के मुताबिक़ चुनाव आयोग किसी राजनीतिक दल को पंजीकृत ही कर सकता है.
इसी का लाभ उठाते हुए देश में राजनीतिक पार्टियों का हुजूम है जिनमें से अधिकतर ने न तो कभी चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लिया और न ही मिलने वाले चंदों और खर्च की जानकारी ही आयोग को दी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ चुनाव आयोग ने ऐसे दलों के बारे में पड़ताल कर एक सूची तैयार की है जिसे कार्रवाई के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को भेजा जाना है.
बोर्ड इन राजनीतिक दलों के वित्तीय मामलों की जांच करेगा और अनियमितता पाए जाने पर in दलों को पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से हटाने का रास्ता साफ़ हो सकेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक़ चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत मिली शक्तियों के तहत फिलहाल 200 राजनीतिक दलों को सूची से बाहर करने का फैसला किया है.
इस सूची से बाहर होने के बाद ये दल पंजीकृत राजनीतिक दलों को मिलने वाली छूटों से वंचित हो जाएंगे.
समझा जाता है कि चुनाव आयोग की 200 दलों पर कार्रवाई महज़ पहला कदम है और जल्द ही सभी अगंभीर पार्टियों को बाहर व्यवस्था से बाहर कर दिया जाएगा.