पिछले हफ्ते फेसबुक पर केरल की किसी स्कूली पुस्तक के स्क्रीन शॉट के साथ यह पोस्ट वायरल हुई है. हमेशा की तरह सोशल मीडिया के विशाल समंदर में इस पोस्ट के मूल लेखक और प्रामाणिकता का अंदाजा लगाना मुश्किल है.
लेकिन फिर भी इसमें तनिक भी सत्यता है तो इस पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक हो जाता है.
पोस्ट –
केरल के स्कूलों में नर्सरी क्लास में पढ़ाया जाता है कि एक हिन्दू था जो बेहद गरीब था. वो कई मन्दिर गया लेकिन हिन्दू भगवान ने उसकी फरियाद नहीं सुनी.
फिर वो चर्च गया तो ईसा मसीह ने उसे तुरंत अमीर बना दिया और फिर वो ईसाई बन गया!
सोचिए ये कपटी वामपंथी और ईसाई मिशनरीज इन छोटे छोटे बच्चो के मन मस्तिष्क में कितना जहर भर रहे हैं?
पिछले दिनों आपने न्यूज़ पढ़ी होगी किस तरह NCRT की 12वीं कक्षा की Political Science की किताबें भी दंगे का धर्म, हिन्दू धर्म बताती है. दंगों के नाम पर किताब में सिर्फ 2002 और 1984 के दंगे की विस्तृत चर्चा की गयी और इस दंगे के लिए सीधे तौर पर हिन्दूओं को जिम्मेदार ठहराया गया.
एक ओर जहाँ सिक्खों के खिलाफ “कोंग्रेसी दंगे” को सीधे तौर पर हिन्दू बताया गया, वहीँ 2002 दंगे की मूल वजह “गोधरा कांड” को Accidental आग लग जाने से सैकड़ों कारसेवकों का मरना बताया गया.
सोचिए कितनी सुनोयोजित कपट से हिन्दू बच्चों के मन में अपने ही हिन्दू धर्म और हिन्दू भाइयों के प्रति नफरत भरी जा रही है.
बच्चों के कोमल-निश्च्छल मन में हिन्दुओं के प्रति दुर्भावना भरने का यह खेल आखिर कब तक चलता रहेगा?