नोटबंदी का असर प्रत्येक व्यक्ति पर अलग- अलग हुआ है…. कुछ परेशान हैं, कुछ बहुत दुखी हैं, कुछ चिंतित हैं तो कुछ सरकार को कोस रहे है.
कुछ खुश भी है इसलिए नहीं कि उनको कोई लाभ हुआ है…. वो तो इसलिए हैं क्योंकि उनको परेशान करने वालों के पैसे डूब गए हैं.
नौकरीपेशा टैक्सपेयर भी खुश हैं कि अब तक जो टैक्स बचाते थे वो पकड़े जाएँगे और टैक्स देंगे.
विरोधियों को तो विमुद्रीकरण और कैशलेस सोसायटी से सिर्फ दुःख और परेशानी ही दिखाई दे रहा है.
पूछ रहे हैं कि इससे लाभ क्या हुआ…. जनता परेशान हो रही है, लोग मर रहे हैं आदि-आदि.
यदि नकारात्मक सोच की पट्टी हटा कर देखेंगे तब कुछ अच्छाई भी दिखेगी, जिसमें से एक है….
संकट में अवसर की पहचान… जिसने अवसर को पहचान लिया उसकी तो बल्ले-बल्ले हो ही जाएगी बाकि रोने में समय व्यर्थ करेंगे.
ग्रामीण इलाकों में बैंकों की शाखाएँ कम हैं क्योंकि मेंटनेन्स महँगा पड़ता है बैंकों को…. अब नोटबंदी के बाद सरकार कैशलेस सोसायटी बनाने के लिए प्रयासरत है, कैशलेस होने के लिए प्रत्येक व्यक्ति का खाता होना आवश्यक है.
निश्चित रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों में खाते भी बढ़ेंगे और लेन-देन भी, तो मेंटनेन्स भी महँगा नहीं पड़ेगा…. बैंकिंग सिस्टम मजूबत होगा.
इस नकदी के संकट ने बैंकों को और सरकार को बेहतरीन अवसर दिया है. सरकार को लोगों को बैंकिंग सिस्टम के साथ डीबीटी जैसी योजनाओं के साथ जोड़ने का अवसर मिला है.
सरकार प्रयास कर रही है कि सभी नौकरीपेशा लोगों का वेतन बैंक एकाउंट में ही ट्रांसफर हो. केंद्र सरकार ने राज्यों के मुख्य सचिवों को इस आशय का संयुक्त पत्र जारी किया है.
नियोक्ताओं को निर्देश दिया गया है कि अपने सभी कर्मचारियों का बैंक खाता खुलवाएं.
अब यदि सभी कर्मचारियों की, मजदूर से मैनेजर तक की सैलरी बैंक एकाउंट में ट्रांसफर होगी तो सिस्टम में पारदर्शिता आएगी.
कंपनियों और कर्मचारियों दोनों के लिए टैक्स चोरी मुश्किल हो जाएगी. इससे अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा होगा और सब्सिडी चोरी भी रुकेगी.
वास्तविक जरूरतमंद को लाभ मिलेगा, कम्पनियों ज्यादा सैलेरी पर साईन करा कर कम पेमेन्ट नहीं दे पाएँगी.
ऐसी उम्मीद है…. पर भारत में कुछ भी संभव है, इसलिए मुनाफाखोर कोई न कोई उपाय तो निकाल ही लेंगे.
पर सरकार अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रही है कि लोग डिजिटल पेमेन्ट को अपना लें.
इसके लिए एक वेब पोर्टल भी बनाया है जिस पर अभी तक दस लाख लोगों ने पंजीकरण कराया है और साढ़े नौ लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है.
सरकार प्रति व्यक्ति 10 रुपए, प्रति ट्रेनिंग कैंप के लिए 100 रुपए और प्रति दुकानदार के लिए 200 रुपए दे रही है.
अभी तक देश भर के 476 जिलों के 31000 दुकानदारों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
इधर टैक्स स्लैब में भी बदलाव की तैयारी चल रही है. सुनने में आ रहा है कि चार लाख रूपए तक की सालाना आय वालों को टैक्स नहीं देना पड़ेगा.
इनकम टैक्स स्लैब में 10, 20 और 30 प्रतिशत के अलावा एक कैटेगरी 15% की भी जुड़ने वाली है.
बीस लाख से अधिक वार्षिक आय वाले 30% वाले टैक्स स्लैब में होंगे, शायद 10 से 20 तक वाले 20% वाले में
विरोधियों के बहकावे में मत जाइए…. आपकी चुनी हुई सरकार है विश्वास रखिए. आपके हित के लिए ही काम कर रही है.
सरकार का साथ दीजिए…. डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, ई वॉलेट आदि के सम्बन्ध में अपने आसपास वालों को जानकारी दीजिए.
और पैसों की जरुरत है तो सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वेब पोर्टल पर पंजीकरण कर पैसे भी कमाइए.
देश भी अपना है, सरकार भी अपनी और पैसा भी अपना… बस अवसर को पहचानिए और खुश हो जाइए.