नई दिल्ली. नए थलसेना प्रमुख बिपिन रावत की नियुक्ति पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए सरकार पर दो अधिकारियों को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाया है.
ऐसा करते हुए कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी द्वारा की गई ऎसी ही नियुक्तियों को आसानी से भूल गई.
पहले भी टूटा है वरिष्ठता क्रम
सेना में वरिष्ठ अधिकारी की जगह अन्य अधिकारी को सेना प्रमुख बनाना नई बात नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में ऐसा नहीं देखा गया है.
वर्ष 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लेफ्टिनेंट जनरल एस वैद्य को लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा से आगे बढ़ाते हुए सेना प्रमुख नियुक्त किया था. लेफ्टिनेंट जनरल सिन्हा ने विरोध में इस्तीफा दे दिया था.
इससे पहले जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) सैम मानेकशॉ के बाद कार्यभार संभालने के लिए बहुत लोकप्रिय लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत को दरकिनार करते हुए जनरल जीजी बेवूर के कार्यकाल में एक साल का विस्तार दिया और इस दौरान भगत सेवानिवृत्त हो गए.
गौरतलब है कि सरकार ने शनिवार को दो वरिष्ठ अधिकारियों पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी सेना कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज को दरकिनार करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया थलसेना प्रमुख बनाया है.
सरकार ने ले. जनरल बिपिन रावत को थलसेना प्रमुख बनाए जाने के फैसले को उचित ठहराया और जोर दिया कि उनका अभियानगत अनुभव तथा ‘सक्रियता’ उनके पक्ष में रही.
रक्षा बलों पर राजनीति न करे कांग्रेस : भाजपा
भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि रक्षा बलों से जुड़े किसी मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.
भाजपा ने इस नियुक्ति को लेकर सरकार पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस की निंदा की और कहा कि रक्षा बलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
पार्टी ने कहा कि वर्तमान सुरक्षा स्थितियों को ध्यान में रखते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की पदोन्नति हुई.
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि नये सेना प्रमुख को पांच सबसे वरिष्ठ अधिकारियों के समूह में से चुना गया जो सभी सक्षम हैं और रावत की नियुक्ति को अन्य के खिलाफ नकारात्मक रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
विपक्षी पार्टी पर निशाना साधते हुए शर्मा ने कहा कि कांग्रेस द्वारा सेना प्रमुख की नियुक्ति का ‘राजनीतिकरण’ करना उसकी ‘हताशा’ को दिखाता है क्योंकि वह कई चुनावी हारों के बाद राष्ट्रीय राजनीति में ‘हाशिये’ पर आ गई है.
कांग्रेस ने लगाया संस्थानों से छेड़छाड़ का आरोप
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ‘संस्थानों से छेड़छाड़’ और सेना में राजनीति करने के लिए सरकार की निंदा की.
तिवारी ने कहा कि ले. जनरल रावत जिन्हें थलसेनाध्यक्ष नियुक्त किया जा रहा है, के पास शायद सभी जरूरी योग्यताएं हों लेकिन तथ्य यह है कि पदानुक्रम के मामले में सजग इस संगठन में वरिष्ठता का सिद्धांत काफी पवित्र होता है.
उन्होंने कहा कि तीन वरिष्ठ अधिकारियों, ले. जनरल प्रवीण बख्शी, ले. पी एम हैरितज और शायद ले. जनरल बी एस नेगी की अनदेखी सांस्थानिक निष्ठा को लेकर बेहद गंभीर सवाल खड़े करती है.
तिवारी ने पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं से कहा कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वरीयता को नजरअंदाज कर इस नियुक्ति के लिए ‘मजबूर करने वाले कारण’ बताने चाहिए.’ उन्होंने सवाल किया कि वरिष्ठता के सिद्धांत का क्यों सम्मान नहीं किया गया.
अन्य विपक्षी दलों ने मिलाया कांग्रेस के सुर में सुर
भाकपा नेता डी राजा ने सरकार के कदम पर सवाल उठाया और कहा कि नियुक्ति चाहे सेना, न्यायपालिका या सीवीसी में हो या कार्यवाहक सीबीआई निदेशक और केन्द्रीय सूचना आयोग में नियुक्तियां हों, सभी विवादित हो गई हैं.
राजा ने कहा, ‘सेना में नियुक्ति विवादित हो गई है, न्यायपालिका में नियुक्ति पहले ही विवादित है, सीवीसी, सीबीआई निदेशक और केन्द्रीय सूचना आयोग, इन सभी में शीर्ष स्तर पर नियुक्तियां बहुत विवादित हो रही हैं.’
जदयू नेता पवन वर्मा ने कहा, ‘हर सवाल जो किया जा रहा है वह मुद्दे के राजनीतिकण के लिये नहीं होता बल्कि किसी जवाब के स्पष्टीकरण के लिये होता है.’
सर्वाधिक योग्य का किया चयन : रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय सूत्रों ने जोर दिया कि थलसेना प्रमुख का चयन सरकार का विशेषाधिकार है और यह पूरी तरह से गुण पर आधारित है.
मंत्रालय ने शीर्ष पद पर ले. जनरल रावत के चयन के लिए वजहों में जम्मू कश्मीर में 19वें डिविजन के कमांडिंग अधिकारी के रूप में उनके ‘बेहतरीन’ रिकार्ड और रक्षा मंत्रालय तथा सेना मुख्यालय के कामकाज से उनके परिचय को बताया.
मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि सेना कमांडरों के रैंक के अधिकारियों के पैनल में सभी अधिकारी सक्षम हैं और सर्वाधिक योग्य का चयन किया गया है.
सूत्रों ने जोर दिया कि पैनल से सर्वाधिक योग्य का चयन करना सरकार का विशेषाधिकार होता है.
उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा स्थिति और भविष्य के परिदृश्य के आधार पर सर्वाधिक योग्य अधिकार के चयन का अंतिम फैसला करती है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल में, आतंकवाद और उग्रवाद से मुकाबला अहम मुद्दे हैं.