कारकस. भारत में भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व के चलते विमुद्रीकरण सफलतापूर्वक अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा हो, पर वेनेज़ुएला का नेतृत्व इस मामले में बुरी तरह से विफल रहा.
भारत में बीती 8 नवंबर को हुई विमुद्रीकरण की घोषणा के लगभग एक महीने बाद वेनेजुएला में 11 दिसंबर को वहाँ के सबसे बड़े 100 बोलिवर के नोट को बंद करने के आपात आदेश जारी हुए थे.
इसके बाद वहाँ मचे हाहाकार, लूट और दंगों के बाद इसे फिलहाल टाल दिया गया है. वेनेज़ुएला के कम से कम छह शहरों से लगातार झड़पों की खबरें आ रही थीं.
वेनेजुएला की सरकार की तरफ से कहा गया है कि 100 बोलिवर के बैंक नोट हटाए जाने की नीति पर फिलहाल दो जनवरी तक अमल नहीं किया जाएगा.
इस ऐलान के बाद ये नोट तब तक के लिए चलन में बने रहेंगे. कई दिनों की आर्थिक अफरा-तफरी के बाद नोटबंदी की नीति में सरकार ने ये फेरबदल किया है.
टेलीविजन पर एक राष्ट्रीय प्रसारण में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने दावा किया कि वेनेजुएला को बर्बाद करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश हुई है.
मादुरो का दावा है कि 500 बोलिवर के नए नोटों को वक्त पर पहुंचने से साजिश के तहत रोका गया है.
वेनेजुएला में नोटबंदी के इस फैसले के बाद नकदी के संकट के कारण हजारों दुकानें बंद हो गईं और लोगों को क्रेडिट कार्ड या बैंक ट्रांसफर के जरिये लेन-देन करने के लिए बाध्य किया गया.
कई लोगों के साथ तो संकट इस कदर गंभीर हो गया कि उनके लिए खाने-पीने की चीजें खरीदना मुश्किल हो गया.
कुछ खबरों के मुताबिक, उस हिंसा में अबतक दर्जनों दुकानें लूटी जा चुकी हैं और तीन लोगों की जान भी जा चुकी है.
हालांकि, सरकार लोगों की जान जाने की बात पर अपनी मुहर नहीं लगा रही है. लोगों को अपने पैसों को खपाने के लिए तीन दिन का वक्त दिया गया था.
जैसे-जैसे क्रिसमस और नया साल पास आ रहा है लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. लोग हंगामे और हिंसा पर उतर आए हैं.
भारत की तरह वहां का विपक्ष भी नोटबंदी के खिलाफ है. वहां के विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति मादुरो को धमकी दी है कि वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे जो कि 2019 में खत्म होना है.