नमक हराम बनाम नमक हलाल
भारत की परंपरा रही है कि जिसका नमक खा लिया एक बार उससे गद्दारी नहीं.
और ये परंपरा आज तक कायम है.
देखिये न…
कांग्रेस के स्वर्णिम काल के शासन के दौरान कोटा लाइसेंस वाले बड़े व्यापारी,
मंत्रियों के साथ विदेश घूमने गए हुए संपादक पत्रकार,
शांति से अपनी नौकरी करने वाले जिनके खाते में कोई भी विवाद ही नहीं, ऐसे आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और सरकारी अधिकारी कर्मचारी,
जमीन से जुड़े नेता जो रसोई-बस-साईकिल से उठ कर ऊपर… बहुत ऊपर तक पहुंचे,
अलग अलग जगह के अलगाववादी,
सब आज तक हक़ अदा कर रहे हैं नमक का… अगर खुद खाने वाला निकल चुका है तो उसके बच्चे तक एहसानमंद हैं आज तक
क्यों
क्योंकि तरक्की किसको कहते हैं और कैसे होती है, ये कांग्रेस को आता है, पता है
यहाँ तक कि उसकी शैली का बच्चा AAP भी आज उसी नक़्शेकदम पर है
नमक खिलाता है, जी भर के, अपने अनुयायियों को
और दूसरी तरफ गैरज़िम्मेदार मोदीजी
कोई परिवार के प्रति मोह नहीं, कोई अनुयाइयों पर रहम नहीं, अपनी ढफली लेकर अलग बजाने वाले, कोई सुने तो उनकी बला से, किसी के कान फूटे तो फूटते रहें
इसलिए उनके भक्त भी रोज चीरहरण सा प्रोग्राम करते रहते हैं उनकी मंशा आदत और शैली पर
छोड़ो मोदीजी… बिना बात खून जला रहे हो अपना भी और बाकियों का भी
लग जाओ धंधे में
और अपने भक्तों को दो खुली छूट माल बनाने की
फिर देखना कैसे ये नमकहराम (वैसे जब आज तक नमक खिलाया ही नहीं तो काहे के नमक हराम)…. बदलते हैं नमकहलालों में!
यहाँ माल बनाना है हमको, देश तो बनता रहेगा
– संदीप बसलस