Transfer of POWER Agreement के आधार पर कैसे होगा रामराज्य की परिकल्पना का सपना साकार!

history power of transfer agreement

विश्व में भारत के पहले 70 देश अंग्रेजो के गुलाम हुए उन सभी देशो ने अंग्रेजो की गुलामी से आजादी पाई परन्तु भारत के अतिरिक्त किसी भी देश ने अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण का समझौता नहीं किया.

हालाँकि अंग्रेजो ने कोशिश बहुत की परन्तु किसी भी देश ने मानने से इंकार कर दिया. भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने अंग्रेजों से आजादी का समझौता किया.

समझौते के अनुसार अंग्रेजों ने 3 जुलाई 1947 को ब्रिटेन की संसद में एक कानून पारित किया जिसका नाम है INDIAN INDEPENDENCE ACT.
अंग्रेजो द्वारा निर्मित GOVT OF INDIA ACT (1935 ) जो अंग्रेजों ने भारत को एक हजार साल तक गुलाम बना कर अन्याय और लूटमार करने के लिए 34735 काले कानून INDIAN INDIPENDENCE ACT की जड़ में है जो वर्तमान भारत में यथावत आज भी चल रहे हैं.

आप विचार कीजिये हमें जिस कानून के आधार पर आजादी मिली है कल को ब्रिटेन की संसद उस कानून को रद्द कर दे तो क्या होगा? ये अलग बात है की अंग्रेजो में इतना दम नहीं है कि वो आकर हम पर राज्य कर पाए.

पंडित जवाहर लाल नेहरु और माउन्ट बेटन के बीच एक समझौते पर हताक्षर हुआ जिसका नाम Transfer of  POWER Agreement है. इसी की जड़ में है कि भारत का समाज दो सम्प्रदायों के (हिन्दू और मुस्लमान )आधार पर बंटे. गौरतलब है कि दुनिया में किसी भी देश के बंटवारे सम्प्रदायों के आधार पर नहीं हुए.

हमारे सांसद कहते हैं हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हो गया तब INDIAN INDIPENDENCSE ACT या Transfer of  POWER Agreement का कोई मतलब नहीं है.

आप विचार कीजिये क्रियात्मक रूप से तो वही दिख रहा है जो इस समझौते में लिखा गया है जब भारत ने अपना संविधान लागू कर लिया तो अंग्रेजो की सत्ता के हस्तांतरण की जो शर्ते है उन्हें समाप्त क्यों नहीं किया गया.

वर्तमान भारत में ये शर्ते क्यों लागू है जिसके तहत ब्रिटेन की महारानी बिना वीज़ा लिए भारत में आ जा सकती है हमारा संविधान क्यों नहीं रोक पाया? इसी समझौते के तहत संविधान के अनुच्छेद 348 में लिखा है सर्वोच्च न्यायलय में सारी कार्यवाही अंगेजी भाषा में होगी जबकि संविधान में अंग्रेजी 8वीं अनुसूची में नहीं है.

अनुच्छेद 343 में लिखा है संघ की राज्य भाषा हिंदी होगी. अंग्रेजों के जाने के बाद अंग्रेजों का प्रसाशनिक ढांचा जो भारत को लुटने के लिए बनाया था आज भी यथावत चल रहा है. आप विचार कीजिये अब हम आजाद है तो ये सब आज भी क्यों चल रहा है.

भारत के संविधान में अंग्रेजों द्वारा निर्मित शर्ते क्यों है? भारत के संविधान निर्माताओं ने भारत के संविधान और भारत की जनता के साथ मजाक और धोखा किया है.

संविधान के साथ किया गया धोखा

संविधान सभा में में 85% से ज्यादा नेताओं को अंग्रेजो ने चुना था जो कि अंग्रेजों के समर्थक थे. अंग्रेजों द्वारा चुने गए कुछ नेताओं ने कहा कि हम संविधान को आत्मार्पित करते है.

भारत की जनता से पूछे बिना संविधान सभा ने लिखा कि हम भारत के लोग इस संविधान को आत्मार्पित करते हैं. दूसरी तरफ संविधान में वो सारी शर्ते आपने रखी जो अंग्रेजो ने GOVT OF INDIA ACT में रखी थी ये सब भारत के लोगों के साथ धोखा है.

आप कानून की पुस्तक बेचने वाली दुकान से GOVT ऑफ़ इंडिया ACT और भारत के संविधान की प्रति ले लीजिये दोनों के एक एक पन्ने को मिलाते जाये तो आप को पता चलेगा कौमा फुलस्टॉप तक नहीं बदला गया है.

हमारे संविधान में 1935 के GOVT OF INDIA ACT, Transfer of  POWER Agreement के सारे प्रावधान भारत का संविधान बन गए है बहस भी नहीं की गई.

अंग्रेजों ने 1935 के GOVT OF INDIA ACT का निर्माण भारत को 1000 साल तक गुलाम बनाने हेतु किया था जिसको अंग्रेजों के कुछ चाटुकारों ने संविधान की आत्मा बना दिया.

हमारा संविधान WTO को जो कि भारत को अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और यूरोप का गुलाम बनाने में अग्रसर है उसको रोक पाने में भी विफल हो रहा है. भारत को 250 साल तक अंग्रेजो ने लूटा परन्तु 1947 में भारत के ऊपर 1 रूपये का विदेशी कर्ज नहीं था उल्टा भारत ने अंग्रेजो को कर्ज दे रखा था भारत का एक रुपया एक डालर के बराबर था परन्तु आज काले अंग्रेजो ने अमेरिका और यूरोप के षड्यंत्रकारी WTO, WORLD BANK के शर्तो के कारण भारत की मुद्रा एवं भारत की संपत्ति की कीमत को 60 गुना से ज्यादा नीचे गिरा दिया है और भारत को दूसरी गुलामी में डाल दिया है.

भारत जब गुलाम था तब एक EAST INDIA कम्पनी भारत को लूटती थी वर्तमान भारत में 5 हजार से ज्यादा विदेशी कंपनिया विकास के नाम पर 60 गुना कम कीमत पर भारत की प्राकृतिक संपदाओ को लूट लूट कर अपने देशो को भेज रही है.

ये सब अंग्रेजो द्वारा निर्मित व्यवस्था का परिणाम है क्योकि ये व्यवस्था अंग्रजों ने लूटने के लिए बनाई थी. लूट तो इस व्यवस्था का प्रमुख अंग है. पहले गोरे अंग्रेज लूट का भारत की धन संम्पत्ति को ब्रिटेन ले जाते थे जिनका प्रमुख गवर्नर जर्नल हुआ करता था. अब आज भी भारत में वही पद है बस नाम बदल गया है जिसके गलत नीतियों के कारण ये काले अंग्रेज भारत का धन लूट लूट कर विदेशी बैंको में और भारत में काले धन के रूप में छुपा कर रखा हुआ है.

क्या अंतर है इस व्यवस्था में?आप विचार कीजिये क्या इसी व्यवस्था परिवर्तन के लिए भारत माता के सात लाख से ज्यादा क्रान्तिकारियों ने आजादी की वेदी पर अपने आपको बलिदान कर दिया था?

आज उनके परिवारों को चाय बेचकर जीवन बिताना पड़ रहा है और जिन गद्दारों ने क्रान्तिकारियों के साथ विश्वासघात कर अंग्रेजों से मिलकर मरवाया था आज वो गद्दार वर्तमान व्यवस्था में सिंहासन पर विराजमान है.

तो क्यों नहीं होनी चाहिए क्रांति?भारत की माटी कभी वीर विहीन नहीं रही है ये इस माटी का इतिहास है.जब जब भारत माता पर संकट आया है तब तब भगवान ने आचार्य चाणक्य, मी दयानंद, वेकानंद और अमर शहीद भाई राजीव दीक्षित जैसे महापुरषों को भारत की धरती पर भेजा है.

हे चन्द्रगुप्तो संगठित होकर तैयार हो जाओ राजीव भाई ने जो युद्ध का शंखनाद किया है आओ हम प्रण करे अन्याय, अधर्म और भ्रष्टाचार रूपी रावण का संहार कर आने वाली पीढ़ियों को एक स्वर्णिम भारत देकर जायेंगे जो स्वदेशी के आधार पर स्वराज्य के साथ साथ राम राज्य की परिकल्पना साकार करेगा.

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