जीत की तरफ जाने के लिये ज़रूरी है हारना बंद करना

ये तो महाबोरिंग कैप्टन है. पूरे मैच की वाट लगा दी. ये तो खुद ही दो-दो दिन तक बैटिंग करता रहता है. ऐसे कोई रिजल्ट मिलेगा? ये मैच भी ड्रा होगा. पूरी सीरीज़ का कबाड़ा कर दिया.

ये वो आलोचनायें है जो सुनील गावस्कर के कप्तान बनने पर उनकी मैच टेक्टिक्स के लिये होती थी.

गावस्कर की कप्तानी की पहली सीरीज़ जो 6 टेस्ट मैच की, भारत में ही वेस्टइंडीज के खिलाफ थी.

सारे विशेषज्ञों का यही अनुमान था कि भारत ये सीरीज़ 4-0 या 5-0 से हारेगा.

सीरीज़ के पहले ही टेस्ट में गावस्कर ने दोहरा शतक और दूसरी पारी में 73 रन बनाकर मैच ड्रा करवा दिया.

आलोचक… आलोचना करते रहे लेकिन गावस्कर ने टीम के दिमाग में ये बात बैठा दी कि जीत नहीं सकते तो हारना तो बिल्कुल नहीं है.

खूँटा गाड़कर खेलने की इस प्लानिंग से वेस्ट इंडीज़ के महान फास्ट बॉलर हताश हो गये.

भारत ने चौथा टेस्ट, जो कि मद्रास में था, जीतकर सीरीज़ का खात्मा 1-0 की जीत से किया. गावस्कर ने सीरीज़ में 4 शतक के साथ 732 रन बनाये.

देखते समय क्रिटिक्स को चाहे वो मैच मज़ेदार ना लगे हों लेकिन गावस्कर भारतीय टेस्ट क्रिकेट को माइनस से निकाल कर ज़ीरो पर ले आये थे.

अब भारत हर मैच में हारना भूल चुका था. जीतेंगे नही तो हारेंगे भी नही.. यही पॉलिसी थी सनी की.

गावस्कर की कप्तानी के 47 टेस्ट मैचों में से भारत 9 जीते, 8 हारे और 30 ड्रा हुए. ये एक महान उपलब्धि थी. जीत की तरफ जाने के लिये हारना बंद करना जरूरी था.

बाद में गावस्कर की मौजूदगी में कपिल देव की कप्तानी में विश्व कप भी जीता गया, उसके अगले ही साल 1984 में फिर गावस्कर की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया में बेंसन & हेजेस वर्ल्ड कप भी भारत जीता.

कपिल देव की ही कप्तानी में 1987 में इंग्लैण्ड को इंग्लैण्ड में 2-0 से टेस्ट सीरिज में हराया.

ये सब हार की मानसिकता ख़त्म होने की वजह से ही पॉसिबल हुआ था. खुद को कमतर समझना बंद होने की वजह से ही सम्भव हुआ था.

एक बार तो किसी को शुरुआत करनी ही पड़ती है… चाहे वो सुनील गावस्कर हो या नरेन्द्र मोदी.

बस एक बार लोगों की मानसिकता बदलने की ज़रूरत है, भविष्य में उसके सुखद परिणाम मिलना तय है.

चाहे भ्रष्टाचार से लड़ने की बात हो या काले धन की बात हो या कैशलेस ट्रांज़ेक्शन की.

विशेषज्ञों को आलोचना करने दीजिये.. आप खूँटा गाड़कर खड़े रहिये. इतिहास आपको भी याद करेगा और नरेन्द्र मोदी को भी.

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