माना तुम्हारे जीवन में समस्याएं हैं, पर ज़रा ये देखो

पिछले दिनों दिल्ली में एक मित्र से मिलने गया. कुछ परेशानी में थे.

उनके पिता ने अपना घर बेच दिया था और पूरे परिवार को नए घर में शिफ्ट होना था.

पर नया घर चूँकि तैयार न था इसलिए दो या तीन महीने किराए के एक मकान में गुज़ारा करना था.

मित्र की पत्नी बीमार रहती थीं सो एक घर से दूसरे और फिर तीसरे में शिफ्ट करने की जिम्मेवारी बेटी पे आन पड़ी थी.

बिटिया एक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जी जान से जुटी हुई थी…. बेहद confused…. डरी सहमी सी…. क्या होगा? कैसे होगा? कैसे करूंगी?

मैंने हौसला बढ़ाया…. अरे…. ये भी कोई समस्या है? तुम्हारे जैसी बहादुर बच्ची तो ऐसी छोटी मोटी समस्या चुटकियों में हल कर सकती है….

पर बिटिया को बात समझ न आई…. उसे लगा अंकल झूठी तसल्ली दे रहे हैं…. किताबी ज्ञान…. लड़की नैराश्य से उबरने को तैयार न थी.

मैंने फोन निकाला और उसे एक लड़की की तस्वीर दिखाई – ये सुमेधा है…. सुमेधा पाठक….

माना कि तुम्हारे जीवन में बहुत समस्याएं हैं…. पर इस लड़की को ज़रा ध्यान से देखो… कितनी खुश दिखती है…. है कोई तनाव?

अब ज़रा इस फोटो को फिर से देखो. सुमेधा व्हील चेयर पर बैठी है.

जब ये 10वीं क्लास में थी तो इसकी रीढ़ की हड्डी में कोई समस्या हुई और लाख इलाज कराने के बावजूद कोई सुधार न हुआ और धीरे-धीरे ये paraplegic हो गई.

Paraplegic मने कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न, लकवाग्रस्त हो गया.

देश-दुनिया का कोई डाक्टर अस्पताल नहीं छोड़ा. फिर भी कोई सुधार न हुआ. आज 3 साल से ज़्यादा हो गए…. व्हील चेयर पर ही है.

माना कि तुम्हारे जीवन में समस्याएं हैं…. पर सुमेधा से ज़्यादा तो नहीं?

जानती हो, एक समय ऐसा भी था जब इसे रोजाना 9-9 घंटे फिज़ियोथेरेपी करानी पड़ती थी…. स्कूल छूट गया था…. सामने पहाड़ सा जीवन अन्धकारमय दीखता था….

फिर भी, उन्ही विपरीत परिस्थितियों में भी, घर पर ही self study कर के इसने 10वीं और फिर 12वीं में 92-94% मार्क्स ले के टॉप किया. आज बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) से बीकॉम कर रही है.

माना कि जीवन में बहुत समस्याएं हैं फिर भी सुमेधा जितनी तो नहीं…. आज के बाद जीवन में कभी निराशा हो तो सुमेधा की फोटो देखना और ईश्वर को धन्यवाद देना…. हे ईश्वर… thanks… मैं कम से कम अपने पैरों पर खड़ी तो हो सकती हूँ…

और अब कुछ पंक्तियाँ सुमेधा के लिए….

बेटी सुमेधा…. कभी जीवन में निराशा हो तो स्टीफन हॉकिंग की फोटो देखना… और ईश्वर को धन्यवाद देना… हे ईश्वर धन्यवाद… मैं कम से कम कमर के ऊपर तो ठीक हूँ.

आज के प्रमुख वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग जब सिर्फ 19 साल के थे तो उनको भी वही समस्या हुई जो सुमेधा को है.

तमाम इलाज के बावजूद वो भी गर्दन के नीचे लकवाग्रस्त हो गए… quadriplegic… जब उन्हें पहली बार बीमारी का attack हुआ तो वो भी तुम्हारी तरह स्कूल में थे.

उनके अगले 8 साल अस्पतालों के चक्कर काटते और फिज़ियोथेरेपी कराते ही बीते. उनका paralysis progressive था और धीरे-धीरे कमर से होता हुआ गर्दन तक पहुँच गया.

तमाम दुश्वारियों के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. एक समय ऐसा भी आया जब डॉक्टरों ने उनको कहा कि वो सिर्फ 2 साल और जीवित रहेंगे.

तब उन्होंने जवाब दिया… ‘अरे दो साल तो बहुत हैं… तब तक तो मैं आराम से अपनी पीएचडी ख़त्म कर लूंगा’.

बीमारी और गर्दन से नीचे लकवाग्रस्त शरीर स्टीफन हॉकिंग को दुनिया का महानतम वैज्ञानिक Physicist और Cosmologist बनने से नहीं रोक पाया.

आज स्टीफन हॉकिंग पूरी दुनिया में अपनी उपलब्धियों के लिए जाने जाते हैं और उनके शिष्य दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में शुमार होते हैं….

इसलिए बिटिया सुमेधा…. जब कभी उदास हो तो स्टीफन हॉकिंग को देखना और उनकी जीवनी पढ़ना और ईश्वर को धन्यवाद देना….

हे ईश्वर… आभार… कमर से ऊपर तो ठीक हूँ… यदि स्टीफन हॉकिंग दुनिया का महानतम वैज्ञानिक बन सकता है तो सुमेधा क्यों नहीं बन सकती एक महान अर्थशास्त्री…

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