नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी क्या मिले, भाजपा विरोध के इकलौते धागे में पिरोई गई विपक्षी दलों की एकता छिन्न-भिन्न हो गई.
पूरे शीतकालीन सत्र में समूचे विपक्ष के साथ मिलकर हुल्लड़ मचाने वाली कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से मुलाक़ात करने के लिए अकेले जाना पसंद किया.
नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ आयी 15 दलों में से कई ने राहुल के अकेले प्रधानमंत्री से मिलने पर नाराजगी जताते हुए राष्ट्रपति भवन मार्च में शामिल होने से इनकार कर दिया.
कांग्रेस नेताओं की पीएम से मुलाकात से खफा वामपंथी दलों, सपा, बसपा, द्रमुक, एनसीपी ने सोनिया गांधी की अगुवाई में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल से किनारा कर लिया.
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मिलने गए प्रतिनिधि मण्डल में कांग्रेस के अलावा सिर्फ तृणमूल कांग्रेस, जदयू और राजद के ही नेता थे.
राष्ट्रपति से मिलने गए विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने से इनकार करने वाले इन दलों का मानना है कि राहुल को पीएम से मिलने के लिए कम से कम सत्र का आखिरी दिन नहीं चुनना चाहिए था.
इन दलों का मानना है कि इस मुलाकात ने नोटबंदी पर विरोधी दलों के महीने भर के एकजुट संघर्ष से बने माहौल को ठंडा कर दिया.
अनौपचारिक चर्चा में इन दलों के नेताओं ने साफ कहा कि नोटबंदी के बहाने बनी विपक्षी गोलबंदी को राहुल के कदम से आघात लगा है.
उनका कहना था कि दो दिन पहले राहुल प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के निजी मामले का जोर-शोर से दावा कर राजनीतिक माहौल गर्माते हैं और फिर पीएम से मिलकर खुद ही इस पर पानी फेर देते हैं.
सोनिया के नेतृत्व में प्रतिनिधिमण्डल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और नोटबंदी के कारण लोगों को हो रही दिक्कतों से उन्हें रुबरू कराया.
साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति से शीत सत्र के दौरान संसद में नोटबंदी पर बहस को टालने के लिए सत्तापक्ष के सदन नहीं चलने देने की शिकायत की.
इससे पहले राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और उन्हें कर्ज माफी सहित किसानों की मांग और नोटबंदी के कारण हो रही समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन सौंपा.